मध्यप्रदेश में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। 11 दिसंबर को हुई मतगणना के बाद भी कई सीटों के परिणाम नहीं आए। 24 घंटे बाद चुनाव आयोग के परिणामों के अनुसार प्रदेश में कांग्रेस 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी और उसने प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश किया, वहीं भाजपा को 109 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है। बसपा को 2 और सपा को 1 सीट मिली। 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को भी जीत मिली।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार दिन और फिर रातभर चली मतगणना के बाद बुधवार सुबह सभी 230 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए, जिसमें कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, वहीं पंद्रह सालों से सत्ता में काबिज भाजपा को कांटे की टक्कर के बीच 109 सीटों पर संतोष करना पड़ा। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अनुसार इसके अलावा बसपा को दो, सपा को एक और चार पर निर्दलीय उम्मीदवारों को विजय नसीब हुई है।
विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए कांग्रेस को 116 विधायकों की आवश्यकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बुधवार तड़के मीडिया से चर्चा में दावा किया कि हमारे पास सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत है और निर्दलीय, बसपा और सपा का समर्थन भी उनके पास है। उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है और समय मिलने पर कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
इसके और पहले मतगणना पूरी नहीं होने के पहले ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा और कहा कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और वे इस दल के प्रदेश अध्यक्ष के नाते उनसे मिलकर सरकार बनाने के संबंध में दावा पेश करना चाहते हैं। हालाकि अब सभी की निगाहें कांग्रेस, भाजपा और राजभवन की ओर लगी हुई हैं।
इस बीच बताया गया है कि दोनों ही दलों के नेता बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय प्रत्याशियों से संपर्क बनाने में जुटे हुए हैं, जिससे विधानसभा में बहुमत हासिल करने का जादुई आकड़ा 116 हासिल किया जा सके।
राज्य की सभी 230 सीटों के लिए मतदान 28 नवंबर को एक ही चरण में हुआ था और तब पांच करोड़ 4 लाख मतदाताओं में से 75 दशमलव 05 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले थे। इसके बाद मंगलवार सुबह आठ बजे मतों की गिनती का कार्य शुरू हुआ था, जो बुधवार सुबह तक जारी रहा।