मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। दोनों ही दलों ने इस बार सोशल मीडिया पर चुनावी जंग लड़ने का फैसला किया है। इस वजह से दोनों ही दलों के उम्रदराज नेताओं के लिए मुश्किलें बढ़ गई है।
कांग्रेस ने उन्हीं नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने के फैसला किया है जो सोशल मीडिया पर सक्रिय हो। जो इस मंच पर सक्रिय नहीं होंगे उन्हें टिकट देने पर विचार नहीं किया जाएगा। चूंकि बड़ी उम्र के नेता युवाओं की तुलना में सोशल मीडिया पर काफी कम सक्रिय हैं। इसलिए माना जा रहा है कि वे टिकट की दौड़ में पिछड़ सकते हैं।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के सोशल मीडिया एवं आईटी सेल के प्रदेश अध्यक्ष अभय तिवारी ने कहा कि सोशल मीडिया पर सक्रियता का आधार फेसबुक एवं ट्विटर अकाउंट की सक्रियता है। साथ ही व्हाट्सएप पर भी उसे सक्रिय होना चाहिए।
फेसबुक पेज पर 15,000 लाइक्स, ट्विटर पर 5,000 फॉलोवर और सभी के पास बूथ के लोगों के व्हाट्सएप ग्रुप बने होना अनिवार्य है। हालांकि कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ऐसे लोगों को टिकट दिया ही नहीं जाएगा, लेकिन सोशल मीडिया पर नेताओं को सक्रिय होना चाहिए।
दूसरी ओर भाजपा ने पहले ही ऐसे नेताओं को टिकट देने की तैयारी कर ली है जो सोशल मीडिया पर सक्रिय हों। बहरहाल दोनों ही दलों के नेताओं की सक्रियता सोशल मीडिया पर दिखाई देने लगी है। फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर चुनावी आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं।