साल के अंत में मध्यप्रदेश समेत तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसी को देखते हुए प्रमुख राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। एक तरह कांग्रेस युवाओं को जोड़कर पार्टी का विस्तार करना चाहती है, तो दूसरी और भाजपा अपनी पैठ मजबूत करने में जुटी हुई है।
कांग्रेस ये अच्छी तरह से जानती है कि भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रूप में युवाओं समेत एक विशाल जनसंगठन है और पिछले आम चुनाव में चली मोदी लहर से उसे सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा भी अच्छी तरह से हो चुका है। यही कारण है कि अब कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने का प्रयास कर रही है और अपने नेताओं पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के लिए दबाव भी बना रही है।
हाल में कांग्रेस के गलियारों से ही ये खबरें निकलकर आई थीं, कि पार्टी युवाओं को सोशल मीडिया पर फॉलोअर बढ़ाने के लिए लालच दे रही है। कांग्रेस ने जितने ज्यादा फॉलोअर, उतना अच्छा पद का ऑफर इन युवाओं के सामने रखा है... अब इसे कांग्रेस का सोशल मीडिया को लेकर अति उत्साह कहें या छटपटाहट, जो दरअसल विरोधी दल की सोशल मीडिया के मंच पर मजबूत पकड़ के कारण पैदा हुआ है।
कांग्रेस इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि भाजपा जैसे संगठन को टक्कर देने के लिए उसे जमीनी स्तर से लेकर सोशल मीडिया तक अपना दायरा बढ़ाना होगा और जनता के बीच अपनी पैठ बनानी होगी। लेकिन इन सबके अलावा कांग्रेस को यह भी समझना होगा कि पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है, जिसे जनता के बीच पेश किया जा सके। जमीनी स्तर पर विस्तार के साथ ही कांग्रेस को अपनी जड़ें भी इन राज्यों में फिर से मजबूत करना होगी।