25 सितंबर को भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित हुए भाजपा के कार्यकर्ता महाकुंभ को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। भाजपा तो इसे लेकर पहले से ही उत्साहित थी और महाकुंभ के आयोजन पर काफी पैसा भी खर्च किया गया। वहीं कांग्रेसी इसे सरकारी पैसे का दुरुपयोग करार दे रहे हैं।
आपको बता दें कि इस महाकुंभ की तैयारियों के रूप में विशाल पांडाल, 1 लाख स्क्वेयर फीट क्षेत्र में प्रदर्शनी, 26 हेक्टेयर में वाहन की व्यवस्था, 45 एईडी स्क्रीन, 5 हेलिपेट, 1580 अस्थाई शौचालय के साथ-साथ 65 हजार बूथों से आए कार्यकर्ताओं के भोजन की व्यवस्था शामिल थी।
अब इन्हीं व्यापक व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए भाजपा ने यह दावा किया है कि कार्यकर्ता महाकुंभ को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया है।
महाकुंभ के बाद बीजेपी दवारा दिए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड के यूके द्वारा कार्यकर्ता सम्मेलन को "वर्ल्ड लार्जेस्ट केडर बेस्ड कंवेंशन ऑफ पॉलिटिकल पार्टी" के रिकॉर्ड से नवाजा गया है।
इधर कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुए कहा है कि भाजपा का यह महाकुंभ पूरी तरह से फ्लॉप रहा और जिस कार्यक्रम में 65 हजार बूथों से कार्यकर्ताओं के आने की बात कही जा रही थी उसमें खुद प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की उपस्थिति के बावजूद पार्टी पर्याप्त भीड़ भी नहीं जुटा पाई। वहीं इसी महाकुंभ में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भोपाल दौरे को लेकर भाजपा भीड़ जुटाने को लेकर निशाना साथ चुकी है।
कांग्रेस ने इसे कार्यकर्ता महाकुंभ के बजाए 'कांग्रेस कोसो सम्मेलन' बताया और कहा कि पार्टी के बड़े नेताओं ने कांग्रेस को कोसने के अलावा कोई काम नहीं किया। लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस महाकुंभ को भाजपा का शक्ति प्रदर्शन करार दिया जा रहा है।
बहरहाल दोनों ही पार्टी अपने-अपने आयोजनों में एक दूसरे पर निशाना साधना नहीं भूल रही और चुनाव से पहले राजनीति के गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म किए हुए है।