Motivation Story : अंधा और बहरा होने में ही है भलाई

Webdunia
सोमवार, 21 जून 2021 (14:26 IST)
एक सरोवर में कई मेंढक रहते थे। उस सरोवर के माध्य में वहां के राजा ने एक लोहे का स्तंभ लगा रखा था। एक दिन सभी मेंढकों ने तय किया कि क्यों ना इस स्तंभ पर चढ़ने की प्रतियोगिता रखी जाए। क्यों‍न रेस लगाई जाए। जो भी सबसे पहले इस पर चढ़ जाएगा यह विजेता होगा।
 
 
सभी की सहमति से रेस का दिन तय हो गया। कुछ दिनों बाद रेस के तय दिन में भाग लेने के लिए वहां ढेर सारे मेढ़क जमा हो गए। पास के सरोवार, ताल, तलैया आदि सभी जगह से भी कई मेंढ़क रेस में हिस्सा लेने के लिए आ धमके और कई इस प्रतियोगिता को देखने के लिए भी एकत्रित हो गए।
 
कुछ समय बाद रेस का आरंभ हुआ, चारों ओर शोर मचने लगा। टर्र टर्र टर्र से समूचा सरोवर गुंज उठा। सब उस लोहे के बड़े से स्तंभ अर्थात खम्भे को देख कर कहने लगे 'अरे इस पर चढ़ना नामुमकिन है, यह तो बहुत कठिन कार्य है। नामुमकिन नहीं यह तो असंभव है, क्योंकि यह तो बहुत बड़ा है। देखना कोई जीत नहीं पाएगा क्योंकि कोई भी रेस पूरी ही नहीं कर पाएगा। सभी दर्शक मेंढक ऐसा ही सोच रहे थे। 
 
ऐसा हो भी रहा था, जो भी मेढ़क स्तंभ पर चढ़ने का प्रयास करता, वो स्तंभ के चिकने एवं काफी ऊंचा होने के कारण थोड़ासा ऊपर जाकर फिसलकर नीचे गिर पड़ता। बार बार प्रयास करने के बाद भी कोई ऊपर स्तंभ पर नहीं पहुंच पा रहा था। कई मेंढकों ने तो एक बार में ही गिरने के बाद हार स्वीकार कर ली। कुछ ने कुछ और प्रयास किए और हाथ जोड़ लिए परंतु कुछ ऐसे थे जो कई बार गिरने के बाद भी लगे हुए थे।
 
जो मेंढक लगे हुए थे जी तोड़ प्रयास में उनका मोरल डाउन करने में लग गए जो पहले या कुछ प्रयास में हार गए थे। इसके साथ ही रेस देखने वाले मेंढक भी जोर-जोर से उछल उछल कर चिल्लाए जा रहे थे 'अरे यह नहीं हो सकता क्या नाहक की मेहनत कर रहे हो। यह असंभव है। फालतू समय बर्बाद कर रहे हो।
 
यह सुनकर और देखकर तो कुछ मेंढकों को तो मोरल डाउन हो गया और उन्होंने प्रयास करना छोड़ दिया परंतु एक छोटासा मेंढक लगातार कोशिश किए जा रहा था और अंतत: वह सफलतापूर्वक खम्भे पर चढ़कर उपर जा पंहुचा।
 
उस छोटे से मेंढक को रेस का विजेता घोषित किया गया। उसको विजेता देखकर अन्य मेढ़कों ने उसकी सफलता का कारण पूछा कि आखिर तूने कैसे असंभव को संभव कर दिखाया? तभी पीछे से एक मेंढ़क की आवाज़ आई, 'अरे! उससे क्या पूछते हो वो तो बहरा है।'
 
यह सुनकर उन मेंढकों ने सोच कि यह कैसे पता लगाएं कि यह कैसे सफल हुआ तो उन्होंने उन्होंने एक अनुभवी मेंढक की मदद ली जो यह पता लगा सके कि आखिर यह जीत कैसे गया। किसी न किसी तरह उस अनुभवी मेंढक ने उससे पूछा तो उस छोटेसे मेंढक ने कहाकि मैं बहरा हूं, लेकिन जब आप लोग जोर-जोर उछल उछल कर चिल्ला रहे थे, तो मुझे लगा जैसे आप मुझसे कह रहे हो कि 'यह तुम कर सकते हो, शाबास, यह तुम्हारे लिए मुमकिन है। आप सभी लोगों के इसी प्रोत्साहन और सहयोग ने मुझे उपर चढ़ने के लिए प्रेरित किया और मैं सफल हो गया।
 
सीख : इस कहानी से सीख यह मिलती है कि हमारी सोच, हमारा अत्मविश्वास और जुनून ही हमें सफल बनाता है। यदि हम दूसरों की बातों में आकर प्रयास करना छोड़ देंगे तो हार ही जाएंगे। यदि वह मेंढक बहरा नहीं होता तो वह भी हार जाता क्योंकि कुछ मेंढकों ने तो दूसरे मेंढकों की बात सुनकर ही हार मान ली थी। इसलिए आज से हमें उन सभी लोगों के प्रति अंधे एवं बहरे हो जाना चाहिए, जो हमें हमारे लक्ष्य से भटकाते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या आपको भी पसंद है चाय के साथ नमकीन खाना? सेहत को हो सकते हैं ये 5 नुकसान

ऑफिस के लिए 5 best corporate outfit ideas, जानिए किन आउटफिट्स से मिलेगा परफेक्ट प्रोफेशनल लुक

खाने के बाद चबाएं एक पान का पत्ता, सेहत को मिलेंगे ये 7 गजब के फायदे

अपने नाखूनों की देखभाल करने के लिए, अपनाएं ये बेहतरीन Nail Care Tips

सूप पीने से पहले रखें इन 5 बातों का ध्यान, सेहत को मिलेंगे 2 गुना फायदे!

सभी देखें

नवीनतम

DJ की तेज आवाज से सेहत को हो सकते हैं ये 5 गंभीर नुकसान, जानिए कैसे करें बचाव

ऑफिस में आते ही आलस क्यों छा जाता है? इसके पीछे छिपे हैं ये 9 कारण, जानिए समाधान

आंखों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो इन 4 चीजों को जरूर करें अपनी डाइट में फॉलो

प्रेगनेंट महिलाओं के लिए गजब हैं शकरकंद के फायदे, ऐसे करें डाइट में शामिल

स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होता है शहद, जानिए ये गजब के Honey Skincare Tips

अगला लेख
More