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मदर्स डे पर एक कविता थोड़ी हटकर : मां जैसे हर मिठाई...हर नमकीन

हमें फॉलो करें poem on mothers day 2023 in hindi
सुजाता देशपांडे 
 
यहां वहां, जहां तहाँ 
हर पल में समाई है मा। 
सर्वव्यापी ईश्वर का ही 
दूजा नाम है मां। 
मिठाई की दुकान में भी 
दर्शन हुआ मुझे मां का। 
मां मेरी रसगुल्ला 
प्रेम चासनी जिसमें डूबा 
मां के दिल का नरम गोला। 
मां मेरी गुलाब जामुन, 
बातें करें मीठी मीठी प्यार भरी 
हो जाए उसके गाल गुलाबी।
मां मेरी गुड की पट्टी 
जब गुस्सा होती कड़क शब्द 
इस्तमाल करती।
ऐसे रूठती की बड़ी मुश्किल से टूटती, 
तब कहीं मिठास का एहसास दिलाती। 
मां, रबड़ी की मोटी मलाई 
जब सिरपर रखे प्यार भरा हाथ, 
मिले सुकून और भरोसा, जैसे स्वादिष्ट समोसा 
होवे मन में संचार आत्मविश्वास का। 
स्वाद मिले हर डिश खास का 
मां लगे नमकीन चिवडा 
तेज और चटपटा ,
जब बहस पर उतर आती 
न जाने क्या क्या मसालेदार उदाहरण देती,
और सबको चुप कर देती।  
मां लगती कभी जलेबी-इमरती 
कभी घेवर तो कभी फेनी, कभी जीरावन कभी गरम मसाला 
उसका तो हर स्वाद मनभावन निराला। 
रसोई से बैठक तक मां का रुतबा, उसके बिना घर लागे सूना सूना, 
मां तो हैं नवरसों से भरा प्याला, 
ये अमृत धारा बनाती सेहत को हरियाला... 
 
रचनाकार  :  सुजाता देशपांडे
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