Mother’s Day 2023: मदर्स डे पर बेस्ट 3 कविताएं

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Mothers day poem 
 
हर साल विश्वभर में मदर्स डे मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है और 2023 में मदर्स डे 14 मई को मनाया जाएगा। मां का हमारी ज़िन्दगी में बहुत महत्व होता है और दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हमारी ज़िन्दगी का महत्व ही मां है। इस अवसर को ख़ास बनाने के लिए हम आपके लिए लेकर आए हैं मदर्स डे स्पेशल 3 कविताएं.....
 
1. मिट्टी की सौंधी सौंधी सी ख़ुशबू जैसी मां
आंसू को मुस्कान बना दे जादू जैसी मां
 
मां तपती दोपहर में ठंडी छांव के जैसी है
मां गहरी नदिया के तीरे नाव के जैसी है
मां जिसके उर से निकले हैं अक्षर ढाई
मां जिसकी आंखों में है मानस चौपाई
 
मेरे सुख के ख़ातिर दुनियाभर के दुख सहकर
ममता की आंखों से छलके आंसू जैसी मां
 
मां स्नेह की धरती है मां ख़ुशियों का अम्बर
मां जिसके होने से उजला-उजला सारा घर
मां से होली, छठ, दिवाली मां से हरतालिका
मां जैसे मंदिर में पावन पूजा की थाली
 
अपनी ममता के कौशल से छोटे से घर को
कम साधन में साध रही है साधु जैसी मां
 
मां तुलसी का क्यारा, मां दरवाजे का सातिया
मां जिसने घर आंगन को ही जीवन सौंप दिया
मां जिसमें हैं सीता के गुण, सावित्री का सत
मां का मतलब दुनिया की सबसे सुंदर औरत
 
ग़म और ख़ुशियों से बनता है जीवन का सिक्का
उस सिक्के में खुशियों वाले पहलू जैसी मां -अमन जादौन

 
2. पालने में झुलाने से, पहला निवाला खिलाने तक
रोना बंद कराने से, बैठना-चलना सिखाने तक
मेरी मां मेरे हर पल में साथ है......
मेरा टिफिन बनाने से, मुझे काबिल बनाने तक।
तुझसे ही तो सीखा था पहला शब्द अपना, 
तेरी गोद में ही देखा था वो सुनहरा सपना 
मेरी मां सब तूने ही सिखाया है 
गर्मी में तू आम खिलाती, सर्दी में स्वेटर बुनती है 
कोई सुने न सुने, तू बात मेरी हर सुनती है 
मेरी मां तू मूरत प्रेम की 
तेरे उपकारों की नहीं कोई गिनती है
तेरी बदौलत ही जन्म पाया है 
तुझसे ही साहस-संबल आया है 
मेरी मां तेरा शुक्रिया 
तेरी मुस्कान ने ही जीना सिखाया है। - प्रथमेश व्यास 

 
3. हकीम तू भगवान तू
पता नहीं सीने से लगाकर कैसा कमाल करती है...
धिक्कारे जब जहान ये
तू तब भी मुस्कुराके प्यार करती है....
 
ना जाने मुझमें तेरी कैसी दुनिया बस्ती है
खुश हो जाऊं मैं तो तू हस्ती है
आंखें नम जो मेरी हो तो तू रो देती है...
आंखें पढ़ कर मेरी तू मेरे सारे राज कह देती है..
ना जाने मां तू मेरे लिए क्या-क्या सह लेती है...
 
मां तू ढूंढ़ लेती है खुशियां मुझमें और मैं ज़माने को हंसाता रहा...
तेरी कविता भी मैं तेरी शायरी भी
और मैं दुनिया को शेर सुनाता रहा..
था चारों धाम तुझमें और मैं तीरथ का रास्ता बताता रहा...
था सुकून तुझमें और मैं सुकून खोजता रहा...
थी जन्नत गोद में तेरी और मैं जन्नत कैसी होगी सोचता रहा...
 
ना जाने मां तेरे प्यार की कैसी हद, कैसा इरादा है...
हो तेरा प्यार और तेरा साथ
तो हर रिश्ते से नौ महीने ज्यादा है - मुस्कान चौकसे


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