इस वर्ष रविवार, 14 मई 2023 को मातृ दिवस मनाया जा रहा है। दुनियाभर में प्रतिवर्ष मदर्स डे मई माह के दूसरे रविवार (second sunday of may every year) को मनाया जाता है। मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना है। हर जगह मातृ दिवस मनाने का तरीका अलग-अलग होता है, लेकिन इसका उद्देश्य एक ही होता है।
दरअसल मातृ दिवस, मातृ और दिवस शब्दों से मिलकर बना है जिसमें मातृ का अर्थ है मां और दिवस यानी दिन। इस तरह से मातृ दिवस का मतलब होता है मां का दिन। जब एक शिशु का जन्म होता है, तो उसका पहला रिश्ता मां से होता है। एक मां शिशु को पूरे नौ माह तक अपनी कोख में रखने के बाद असहनीय पीड़ा सहते हुए उसे जन्म देती है और इस दुनिया में लाती है। इन नौ महीनों में शिशु और मां के बीच एक अदृश्य प्यार भरा गहरा रिश्ता बन जाता है। यह रिश्ता शिशु के जन्म के बाद साकार होता है और जीवन पर्यंत बना रहता है।
मां और बच्चे का रिश्ता इतना प्रगाढ़ और प्रेम भरा होता है, कि बच्चे को जरा सी तकलीफ होने पर भी मां बेचैन हो उठती है। वहीं तकलीफ के समय बच्चा भी मां को ही याद करता है। मां का दुलार और प्यार भरी पुचकार ही बच्चे के लिए दवा का कार्य करती है। इसलिए तो ममता और स्नेह के इस रिश्ते को संसार का खूबसूरत रिश्ता कहा जाता है। दुनिया का कोई भी रिश्ता इतना मर्मस्पर्शी नहीं हो सकता।
मातृ दिवस मनाने का शुरुआत सर्वप्रथम ग्रीस देश में हुई थी, जहां देवताओं की मां को पूजने का चलन शुरू हुआ था। इसके बाद इसे त्योहार की तरह मनाया जाने लगा। हर मां अपने बच्चों के प्रति जीवन भर समर्पित होती है। मां के त्याग की गहराई को मापना भी संभव नहीं है और ना ही उनके एहसानों को चुका पाना। लेकिन उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता को प्रकट करना हमारा कर्तव्य है।
मां के प्रति इन्हीं भावों को व्यक्त करने के उद्देश्य से मातृ दिवस मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से मां के लिए समर्पित है। इस दिन को दुनिया भर में लोग अपने तरीके से मनाते हैं। कहीं पर मां के लिए पार्टी का आयोजन होता है तो कहीं उन्हें उपहार और शुभकामनाएं दी जाती है। कहीं पर पूजा-अर्चना तो कुछ लोग मां के प्रति अपनी भावनाएं लिखकर जताते हैं। इस दिन को मनाने का तरीका कोई भी हो, लेकिन बच्चों में मां के प्रति प्रेम और इस दिन के प्रति उत्साह चरम पर होता है।
मां के कारण ही धरती पर मौजूद हर इंसान का अस्तित्व है। मां के जन्म देने पर ही मनुष्य धरती पर आता है और मां के स्नेह-दुलार और संस्कारों में मानवता का गुण सीखता है। हम अपने व्यस्त जीवन में यदि हर दिन न सही तो कम से कम साल में एक बार मां के प्रति पूर्ण समर्पित होकर इस दिन को उत्सव की तरह मना सकते हैं। हमारे हर विचार और भाव के पीछे मां द्वारा रोपित किए गए संस्कार के बीज हैं, जिनकी बदौलत हम एक अच्छे इंसान की श्रेणी में आते हैं।
इसीलिए मातृ दिवस को मनाना और भी आवश्यक हो जाता है। वर्तमान समय में घर में बुजुर्गों के साथ गलत व्यवहार और उन्हें अनदेखा करने की कई घटनाएं हमें कहीं न कहीं से सुनने को मिलती है। अत: हमें यह बात ध्यान रखना है कि हम हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग हो या आस-पड़ोस में रहने वाले। सभी को सम्मान देकर उनकी सही और अच्छे तरीके देखभाल करना ही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए और हमारी भावी पीढ़ी को भी वहीं संस्कार देना चाहिए।