मां पर मार्मिक कविता : आजा, मां का दिन है न आज....

सीमा व्यास
- सीमा व्यास 
 
आज सोचा घर जाऊं तो मां के लिए कुछ ले लूं,
क्या पसंद है उन्हें, कभी सोचा ही नहीं,
पापा को पकोड़े पसंद है,भाई को खीर और दादी को मीठी थुली,
सब याद था उन्हें, पर उन्हें ...कभी जाना ही नहीं।
कोई रंग बताया नहीं कभी साड़ी के लिए,
कभी किसी ने ला दी, कभी बिदाई में मिल गई बस पहन ली ,
न कभी पसंद की चूडियां पहनने की जिद की, न आंखों में कजरा लगाया,
हां याद आया पापा से कहा था एक बार,
सामान में अगरबत्ती लो तो चन्दन की सुगंध वाली लाना,
ढेर सारी असली चन्दन की अगरबत्ती खरीदकर घर पहुंची,
चौंक गई , भाई मां के फोटो को हार से सजा रहा है,
धीरे से बोला.....आजा, मां का दिन है न आज,
साल भर होने को आया, मै खुद को मां के बिना महसूस ही नहीं कर पाई ,
कभी लगा ही नहीं वह मेरे साथ नहीं है,
भारी मन से ढेर सारी अगरबत्ती लगा दी मां के सामने,
कुछ देर में ही पूरा घर भर गया मां की सुवासित सुगंध से....

ALSO READ: मां पर कविता : खीर-सी मीठी अम्मा हर पल
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पार्टनर के लिए 20 बेहतरीन रोमांटिक गुड मॉर्निंग लव शायरी और कोट्स

भारत में कैसे आता है मॉनसून? समझिए बारिश का पूरा विज्ञान

बरखा की बूंदों में भीगी ये शायरी पढ़ कर दिल हो जाएगा तरोताजा

हेयर ट्रांसप्लांट ने लील ली 2 जिंदगियां, जानिए कितनी सेफ है ये सर्जरी, संभावित खतरे और किन लोगों को नहीं करवाना चाहिए ट्रांसप्लांट

प्री-मॉनसून और मॉनसून में क्या होता है अंतर, आसान भाषा में समझिए

सभी देखें

नवीनतम

अपनी बेटी को दें वेदों से प्रेरित सुंदर नाम, जानें उनके गहरे अर्थ

घर के चिराग को दें वेदों से प्रभावित नाम, दीजिए बेटे के जीवन को एक सार्थक शुरुआत

प्रधानमंत्री का संदेश आतंकवाद के विरुद्ध मानक

मोहब्बत, जिंदगी और सियासत पर राहत इंदौरी के 20 दमदार और मोटिवेशनल शेर

कितनी है कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी, जानिए भारतीय सेना में इस पोस्ट का वेतनमान

अगला लेख