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जन्मदात्री है वह...
कविता
संबंध नहीं हैं मां केवल संपर्क नहीं हैआदर्श है जीवन का केवल संबोधन नहीं है
जन्मदात्री है वो मात्र इंसान नहीं हैव्यक्तित्व बनाती है, केवल पहचान नहीं हैममता की प्रतिमा है केवल नारी का एक रूप नहीं हैस्नेह की छाया है केवल कठोरता की धूप नहीं हैहृदय है इसका प्रेम का सागर, जिसकी कोई थाह नहीं हैआघातों से पीड़ित है फिर भी मुख पर आह नहीं हैआघात जो मिले है अपनो से, सहने के अतिरिक्त राह नहीं हैदंडित करने की अधिकारी है, मात्र क्षमा का प्रवाह नहीं हैकृतघ्न हैं वो जो माता को आहत करते हैंकर्तव्यों से मुंह मोड़ अधिकारों का दावा करते हैंसंतान के रक्षण हेतु माता न जाने क्या-क्या करती हैपीड़ाओं को सहकर भी आंचल की छाया देती हैकभी देवकी बनकर वो निरपराध ही दंड भोगती हैकभी अग्नि में पश्चाताप की कैकयी सी बन जलती हैसुपुत्रों से आज है मेरा नम्र निवेदनदु:ख न दें, भले न दे सुख का आंगन।