Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

माँ तुझे सलाम

माँ तुम धन्य हो.......

हमें फॉलो करें माँ तुझे सलाम
SubratoND
- प्रियंका कौशल

'माँ... कितना पावन, कितना निर्मल
कितना प्यारा कितना कोमल
है ये माँ का नाम
कर दूँ तन,मन,धन सब अर्पण
फिर भी चुका सकूँ ना शायद
माँ की ममता का वो दाम.......'

किसी ने सच ही कहा है कि माँ धरती पर भगवान का मानवीय रूप है। जितना कोमल अहसास इस शब्द में है, इस रिश्ते में उतनी ही निर्मलता और पावनता है। निस्वार्थ, प्रेमयुक्त, सरल, निश्चल और अनमोल होती है माँ...। वह माँ, जो हमारी प्रथम गुरु, प्रथम सखा, प्रथम संबंधी, प्रथम शिक्षक, प्रथम प्रेमी होती है. वह माँ जो खुद जीवन की कंटीली राहों पर चलकर हमारे रास्तों पर फूल बिछाती है।

वह माँ जो नौ माह की असहनीय प्रसव पीडा सहकर हमें इस दुनिया से रूबरू कराती है। हमारे लिए केवल स्वेटर या मोजे ही नहीं, सपने भी बुनती है। सचमुच धन्य है यह दैवीय रिश्ता, केवल इसलिए नहीं कि वह 'मेरी' माँ है और उसने मेरा हरदम ख्याल रखा है। बल्कि इसलिए कि वह ईश्वर के प्रति आस्था जगाती है, दुनिया से स्नेह मिटने नहीं देती, मातृत्व सिखाती है, वह देना सिखाती है। जिसने मुझसे कभी कुछ नहीं चाहा, ईश्वर से माँगा भी तो मेरा सुख ही माँगा, मेरी सलामती चाही।

वह माँ जो इस कठोर दुनिया को जीने के लिए नर्म बनाती है। यदि समंदर को स्याही बनाया जाए और पूरे आकाश का कागज बना दिया जाए, फिर खुद देवी सरस्वती अपनी कलम लेकर 'माँ' की महिमा लिखने बैठे तो भी शब्द कम पड़ जाएँगे, लेकिन माँ की दिव्यता का बखान नहीं हो पाएगा। उस माँ को मेरा को‍टि-कोटि प्रणाम। माँ सचमुच तुम धन्य हो। माँ तुझे सलाम।
माँ के चरणों में इतना ही कि।।।..
'वो अहसास हो तुम, जो कोमल लगता है
वो स्पर्श हो तुम, जो शीतल लगता है
तुम्हें पाकर ये जहाँ पा लिया है,
तेरे होने से हर पल सार्थक लगता है।'

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi