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थिरकन का बादशाह : माइकल जैक्सन

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स्मृति आदित्य

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माइकल जैक्सन नहीं रहे। इस खबर से अचानक मानों एक झूमती पीढ़ी के कदम रूक गए हों। आँखों के सामने उस प्रतिभावान कलाकार के लहराते पैरों की गति थिरक उठी है। नृत्य की नवीनतम शैली से सारे संसार को रूबरू कराने वाला माइकल अब कभी मंच की जगमगाती रोशनी में नहीं नहाएगा।

विश्वभर के युवा वर्ग को अपनी अदभुत नृत्य क्षमता से अभिभूत और रोमांचित कर देने वाला माइकल उस यात्रा पर चल पड़ा है, जहाँ से कोई नहीं लौट कर आता। पॉप संगीत के जनक माइकल का पूरा नाम माइकल जोसेफ जैक्सन था। 29 अगस्त 1958 को गैरी, इंडियाना (अमेरिका) में जन्में माइकल की प्रतिभा 11 बरस की उम्र से ही अभिव्यक्त होने लगी थी। सन 1971 में माइकल ने अपना अलग से संगीत करियर आरंभ किया।

माइकल जीवन भर विवादों में घिरे रहे। कभी वित्तीय संकट की वजह से अपने कर्मचारियों को वेतन ना देने के कारण तो कभी अपनी प्लास्टिक सर्जरी के कारण। कभी कानूनी उलझनों से दो चार होते हुए, तो कभी बाल-शोषण के गंभीर आरोपों को झेलते हुए, माइकल कभी खबरों से गायब हुए ही नहीं।

वैको-जैको नाम से ख्यात माइकल विवादों से बच भी जाते तो विवाद उनके पास खुद चल कर आ जाता। पिछले दिनों जब वे आरोपों से बरी हुए तो उनके एक प्रशंसक ने टोस्ट पर उनकी छवि उकेर कर टोस्ट को बेचा। माह अप्रैल में मूर्ख दिवस पर उन्हें सबसे मूर्ख व्यक्ति के खिताब से नवाजा गया। दिलचस्प तथ्य यह है कि यह खिताब उन्हें लगातार चौथी बार मिला।

माइकल दुनिया से भले ही चले गए हों लेकिन उनके करोड़ों प्रेमियों की नृत्य थिरकन में, उनके हाथ-पैरों की झूमती लहराती गति में उनका अक्स हमेशा मौजूद रहेगा।

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