Amalner: अमलनेर के मंगलग्रह मंदिर में स्थित मंगलदेव की मूर्ति की क्या है खासियत?

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Amalner: महाराष्ट्र में जलगांव जिले के अमलनेर में स्थित मंगलग्रह का मंदिर बहुत ही प्राचीन और जागृत स्थान माना जाता है। बताया जाता है कि मंगलदेव का यह एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां मंगलदेव खुद के ही स्वरूप में विराजमान हैं। यहां के जैसी मूर्ति आपको और कहीं देखने को नहीं मिलेगी। यहीं पर मंगल दोष और मांगलिक दोष की शांति की पूजा होती है।
 
- यहां स्थित मंगलदेव की मूर्ति स्वयं के रूप के अनुसार विराजमान हैं। जैसा पुराणों में उल्लेख मिलता है वैसा ही उनका स्वरूप है। यदि हम उज्जैन में मंगलनाथ नाम स्थान की बात करें तो वहां पर मंगलदेव की कोई मूर्ति नहीं बल्कि उन्हें शिवरूप यानी शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है।
 
- पुराणों के अनुसार 
रक्तमाल्याम्बरधर: शक्तिशूलगदाधर:। 
चतुर्भज: रक्तरोमा वरद: स्याद् धरासूत:॥- मत्स्यपुराण 94-37
अर्थ- भूमिपुत्र मंगल देवता चतुर्भुज हैं। शरीर के रोए लाल रंग के हैं। हाथों में शक्ति, डमरू, त्रिशूल और गदा है। एक हाथ वरमुद्रा में रहता है।
 
- अमलनेर में स्थित मंगलदेव की मूर्ति के उपर के दाएं हाथ में गदा, नीचे के दाएं हाथ में त्रिशूल, ऊपर के बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में कमल का फूल है। उनका भावन भेड़ है।
- मंगलदेव की मूर्ति के दाईं ओर काले पत्थर से बनी पंचमुखी हनुमान की मूर्ति है और बाईं ओर काले पत्थर से बनी भू माता की एक मात्र ऐसी मूर्ति है जो विश्‍व में कहीं देखने को नहीं मिलेगी।
 
- अमलनेर स्थित मंगल ग्रह मंदिर में दुनिया की एकमात्र अति प्राचीन और दुर्लभ मूर्ति है। यहां पर भगवान मंगलदेव की मूर्ति को एक नया रंग भी दिया गया है, जिससे मूर्ति अब पहले से कहीं अधिक दिव्य और कांतिवान नजर आ रही है। चूंकि मंगल भगवान की मूर्ति प्राचीन है, इसलिए मूर्ति के संरक्षण के लिए समय-समय पर जहां आवश्यकतानुसार मूर्ति पर वज्र लेप किया जाता है।
 
- मंगलदेव की इस मूर्ति पर वृज लेप किया गया है। मूर्ति शीर्ण न हो और मूर्ति को नया जीवन देने के लिए वज्र लेप किया जता है। वज्र लेपन एक प्राचीन भारतीय कला है। वज्र लेप प्राकृतिक रसायनों के प्रयोग से अथक परिश्रम से किया जाता है। वज्र लेप की कला दिन-ब-दिन दुर्लभ होती जा रही है। ऐसा लेप देश में बहुत ही कम मूर्तियों पर किया गया है।
 
- माना जाता है कि यहां स्थित मंदिर का पहली बार 1933 में जीर्णोद्धार हुआ था। लेकिन की मूर्ति बहुत ही प्राचीन मानी जाती है। इसे स्वयंभू मूर्ति माना जाता है। 1999 में इस जगह को पूर्ण रूप से साफ और स्वच्छ करके एक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया गया। मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य को देखा जा सकता है।
 
- इस मंदिर में मंगलवार को हर वर्ग और समाज के लोग आकर मंगल देव के समक्ष हाजरी लगाते हैं। खासकर मंगलिक दोष से पीड़ित लोग, राजनीतिज्ञ, किसान, ब्रोकर, पुलिस, सैनिक, सिविल इंजीनियर के साथ ही जिन लोगों को किसी भी प्रकार का कोई रोग है तो वे भी मंगलदेव के मंदिर में आकर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
कैसे पहुंचे श्री मंगल देव मंदिर अमलनेर महाराष्ट्र | how to reach shri mangal dev graha mandir amalner maharashtra:
 
- जलगांव से अमलनेर की दूरी | jalgaon to amalner distance: यहां पहुंचने के लिए आप महाराष्ट्र के जलगांव पहुंचे। अमलनेर जलगांव जिले में ही स्थित एक गांव है। अमलनेर जलगांव से 58.1 किमी दूर है।
 
- धुले से अमलनेर की दूरी | dhule to amalner distance: आप यहां जाना चाहते हैं तो धुले नामक शहर पहुंचकर भी यहां से सड़क मार्ग से जा सकते हैं। धुले अमलनेर 36.4 किलोमीटर की दूरी पर है।
 
- अमलनेर से मंगलदेव मंदिर की दूरी | amalner to mangal dev mandir distance: अमलनेर गांव से श्री मंगल ग्रह के लिए मंदिर रास्ता करीब 2.5 किलोमीटर दूर का है। मंदिर तक के लिए कई वाहन उपलब्ध हैं।
 
पूरा पता है- मंगल ग्रह मंदिर, चौपड़ा रोड़, धनगर गली, अमलनेर, जिला जलगांव, महाराष्ट्र-425401 | Mangal Grah Mandir, Chopra Rd, Dhangar Galli, Amalner, Maharashtra 425401

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