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मांगलिक दोष शांति का सबसे खास स्थान कहां पर है?

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, शनिवार, 27 मई 2023 (18:39 IST)
Mangal Puja Abhishek Amalner: मंगल दोष शांति पूजन अमलनेर महाराष्ट्र: पहले के अधिकतर लोग मंगल दोष की शांति के लिए गणेश पूजा या हनुमान पूजा को खास महत्व देते थे। उन्हें यह नहीं मालूम था कि आखिरकार मंगल या मांगलिक दोष की शांति का मुख्य स्थान कौन सा है। बहुत कम लोगों को यह मालूम था कि उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर में मंगल दोष की शांति होती है, परंतु इसके अलावा एक और प्रमुख स्थान है जहां पर मंगल दोष का निवारण होता है।
 
मांगलिक दोष शांति का स्थान कहां पर है | Where is the place of Manglik Dosh Shanti?
महाराष्ट्र के अमलनेर में श्री मंगल देवता के स्थान को प्राचीन और जागृत स्थान माना जाता है। यहां पर प्रति मंगलवार को हजारों भक्त मांगलिक दोष निवारण के लिए मंगल पूजा और दर्शन करने आते हैं। इस चमत्कारिक मंदिर में जिस भी व्यक्ति ने अभिषेक या पूजा कराई है उसके सभी कार्य सफल हुए हैं। आओ जानते हैं इस मंदिर का परिचय, पूजा और अभिषेक आदि सभी की जानकारी।
 
क्यों जाते हैं लोग मंगल ग्रह के मंदिर | Why do people go to the temple of Mangal Graha?
- यदि आप मांगलिक दोष से पीड़ित हैं। अर्थात मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें और ग्यारहवें भाव में बैठ हो, शनि, राहु, बुध या केतु के साथ मंगल हो या आपकी कुंडली में मंगल ग्रह कर्क राशि में नीच का होकर बैठा है तो आपको मंगल देव की पूजा और अभिषेक कराने के लिए यहां जरूर जाना चाहिए।
 
- इसी के साथ यदि आप राजनीति, पुलिस या आर्मी में हैं, भूमि, बालू, खेती, प्रॉपर्टी और सिविल इंजीनियरिंग का कार्य करते हैं तो भी आपको मंगल देव की शरण में जाना चाहिए, क्योंकि यह भूमि, युद्ध और शासन-प्रशासन से जुड़े कार्यों के देवता हैं। मंगल देव को देवताओं का सेनापति माना जाता है और इनकी माता भूमाता है।
 
- मंगल देव को रोग हरण, कर्ज मुक्ति और संतान सुख देने वाला देवता भी माना जाता है। यहां पर हजारों लोग इस संबंध में अपनी मन्नत मांगने आते हैं और अपनी क्षमता अनुसार पूजा और अभिषेक कराते हैं। पद्मपुराण के अनुसार, मंगल देवता की पूजा से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
 
- इस मंदिर में मंगलवार को हर वर्ग और समाज के लोग आकर मंगल देव के समक्ष हाजरी लगाते हैं। खासकर मांगलिक दोष से पीड़ित लोग, राजनीतिज्ञ, किसान, ब्रोकर, पुलिस, सैनिक, सिविल इंजीनियर के साथ ही जिन लोगों को किसी भी प्रकार का कोई रोग है तो वे भी मंगल देव के मंदिर में आकर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
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किस तरह से होता है मंगल ग्रह मंदिर में अभिषेक और पूजा | How is the consecration and worship done in the Mangal Graha temple?
 
पांच तरह से होती है पूजा : मंगल देव को तीन तरह से प्रसन्न करते हैं- जप, अभिषेक और हवन। यहां पर मंगल शांति के लिए 5 तरह से पूजा होती है- पंचामृत अभिषेक, समूह अभिषेक, एकल अभिषेक, हवनात्मक पूजा और भोमयाज्ञ पूजा। सभी तरह के अभिषेक के लिए ऑनलाइन या मंदिर के काउंटर पर बुकिंग कराना होती है।
 
पंचामृत अभिषेक : हर मंगलवार को मंगल देव की मूर्ति पर पंचामृत अभिषेक किया जाता है। इसके लिए करीब 2 घंटे लगते हैं। इस अभिषेक के लिए एक ही श्रद्धालु को पूजा का सामान प्राप्त होता है। मंगलवार को पंचामृत अभिषेक की तरह की प्रतिदिन प्रातः: 5 बजे के करीब नित्य प्रभात 'श्री मंगल अभिषेक' भी किया जाता है। इसके लिए भी करीब 2 घंटे लगते हैं।
 
समूह अभिषेक : मंगल दोष की शांति, भूमि संबंधी कोई कार्य में सफलता हेतु, वैवाहिक जीवन में सुख हेतु यहां पर समूह में पंडितजी अभिषेक कराते हैं।
 
एकल अभिषेक : इसी के साथ यदि आप एकल अभिषेक भी करा सकते हैं। इसमें आप पति पत्नी या परिवार के साथ बैठकर यह अभिषेक परिवार की सुख शांति आदि कार्यों के लिए अभिषेक होता है।
 
भोमयाम यज्ञ : यदि आपको भूमि संबंधी कोई परेशानी आ रही हो, खेती करते हो, प्रॉपर्टी का कार्य करते हों या आपकी भूमि किसी मामले में उलझ गई हो तो सभी परेशानी से मुक्ति के लिए यहां पर भोमयाज्ञ होता है। 
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अमलनेर में मंगल दोष की शांति आदि के लिए कब होता है अभिषेक | Amalner Me Mangal dosh shanti ke liye kab hota hai abhishek?
 
- यहां पर प्रति मंगलवार के अलावा आप चाहें तो मंदिर प्रबंधन संस्थान और पंडितों से चर्चा करके अंगारकी चतुर्थी, षष्ठी और दशमी तिथि पर भी यह कार्य करवा सकते हैं।
 
- स्कंद पुराण के अनुसार षष्ठी तिथि भी मंगल की पूजा के लिए शुभ होती है क्योंकि इसी दिन मंगल को सेनापति बनाया गया था। इस दिन मंगल की पूजा करने से धन और संतान सुख मिलता है। दशमी के दिन मंगलदेवता का जन्म हुआ था।
 
- कहते हैं कि यहां पर आकर की गई मंगल पूजा और अभिषेक से शर्तिया मंगल दोष से मुक्ति मिल जाती है और जातक सुखी वैवाहिक जीवन यापन करता है। इसी के साथ ही उसे भूमि संबंधी किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
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मंगल ग्रह मंदिर का परिचय | Introduction to Mangal Graha Temple-
- माना जाता है कि यहां स्थित मंगल ग्रह के मंदिर का पहली बार 1933 में जीर्णोद्धार हुआ था। लेकिन मूर्ति बहुत ही प्राचीन मानी जाती है। इसे स्वयंभू मूर्ति माना जाता है। 1999 में इस जगह को पूर्ण रूप से साफ और स्वच्छ करके एक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया गया। मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य को देखा जा सकता है।
 
- यहां पर मंगल देव की मूर्ति का स्वरूप जैसा पुराणों में उल्लेख मिलता है वैसा ही है। मूर्ति के ऊपर के दाएं हाथ में गदा, नीचे के दाएं हाथ में त्रिशूल, ऊपर के बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में कमल का फूल है। उनका वाहन भेड़ है। संपूर्ण मूर्ति पर सिंदूरी है। मूर्ति के संरक्षण के लिए समय-समय पर जहां आवश्यकतानुसार मूर्ति पर वज्र लेप किया जाता है।
 
- मंगल देव की मूर्ति के दाईं ओर काले पत्थर से बनी पंचमुखी हनुमान की मूर्ति है और बाईं ओर काले पत्थर से बनी भू-माता की एक मात्र ऐसी मूर्ति है जो विश्व में कहीं देखने को नहीं मिलेगी। मंदिर में प्रतिदिन मंगल देव की चार तरह से आरती होती है। प्रातः आरती और नियमित संध्या महाआरती होती है।
 
- मंगल ग्रह मंदिर परिसर में संत श्री स्वामी समर्थ का एक स्थान है जहां पर उनका एक दुर्लभ चित्र भी लगा हुआ है और यही पास में मंगलेश्वर भगवान शिव का शिवलिंग भी स्थापित है। 
 
मंगल देव की पालकी यात्रा : यहां पर प्रति मंगलवार को मंगल देव की पालकी निकलती है। आकर्षक सजे-धजे भाले, चोपदार, श्री मंगल ग्रह सेवा संस्था के लोग और हजारों भक्तों की उपस्थिति में, मेजबान द्वारा पालकी में मंगल देव की मूर्ति और पादुकाओं का मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया जाता है। मेजबान द्वारा पालकी को कंधा देने के बाद पालकी निकलती है। पालकी मार्ग पर भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, श्री मंगल ग्रह की स्तुति में विभिन्न भक्ति गीत और भजन गाए जाते हैं। 
 
प्राकृतिक वातावरण : मंदिर क्षेत्र में ही सुंदर गार्डन और प्राकृतिक स्थान है। यह लोगों के बीच पिकनिक स्पॉट और पर्यटक के रूप में भी प्रसिद्ध हो चुका है। यहां पर कई तरह के पेड़ पौधे लगे हैं। अधिकतर पेड़ पौधे में पक्षियों के लिए घोंसले भी बनाए गए हैं और उनके लिए अन्न जल की उचित व्यवस्था भी की गई है। इसी के चलते यहां पर सैंकड़ों की संख्या में कई प्रजाति के पक्षी डेरा डाले हुए हैं।
 
नि:शुल्क व्यवस्था :
- परिसर या मंदिर क्षेत्र में किसी भी प्रकार का कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मंदिर प्रबंधन की अनुमति जरूरी है। मंदिर क्षेत्र या परिसर में स्थित दुकानों पर ही पूजा सामग्री आदि सामान उचित मूल्य पर मिलते हैं। यहां किसी भी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है।
 
- मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए यहां पर निशुल्क पार्किंग व्यवस्था, निशुल्क जूते चप्पलों का स्टैंड, फिल्टर किया हुआ साफ शुद्ध जल, निशुल्क मोबाइल चार्जिंग पाइंट, फॉगिंग सिस्टम, निशुल्क हेल्थ चैकअप कैंप, सहित अन्य कई सुविधाएं भक्तों के लिए उपलब्ध है।
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नहीं होते हैं वीआईपी दर्शन : यहां पर किसी भी प्रकार का वीआईपी दर्शन नहीं होता है और न ही दर्शन या प्रसाद के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क लिया जाता है। सभी कुछ नि:शुल्क है। दर्शन करने के लिए सभी बड़े या छोटे को लाइन में ही लगना होता है। कतार में लगकर आपको थकान महसूस न हो इसके लिए मंदिर प्रधंधन ने बैठने और गर्गी से निजात पाने के लिए उचित व्यवस्था की ही। दिव्यांगों को दर्शन के लिए प्राथमिकता तय है।
 
ठहरने की उचित व्यवस्था : मंदिर क्षेत्र में भक्तों के रहने, ठहरने और दर्शन करने की उचित व्यवस्था है। मंदिर क्षेत्र के पीछे ही आप पहले से ही फ्लैट बुक करा सकते हैं। यदि आप चाहें तो अमलनेर के पास धुले में स्टे करके प्रात:काल अमलनेर दर्शन के लिए भी पहुंच सकते हैं।
 
अनोखा प्रसाद और महाप्रसाद : इसी के साथ खाने की भी उत्तम व्यवस्था है। मात्र 54 रुपए में आप भरपेट भोजन कर सकते हैं, जिसे महाप्रसाद कहते हैं। इसके अलावा यहां पर जो गोड़ सेव का जो प्रसाद मिलता है वह बहुत ही अनूठा है जो कई दिनों तक खराब नहीं होता है। 
 
चार आईएसो सर्टिफिकेट : भोजन, पानी, स्वच्छता, सुंदरता और प्रबंधन को लेकर मंदिर संस्थान को चार आईएसो सर्टिफिकेट भी मिल चुके हैं। इसी के साथ ही डाक विभाग द्वारा इस संस्थान के अनूठे लोगो का एक लिफाफा भी जारी किया है।
 
मंगल ग्रह मंदिर प्रबंधन संस्थान का परिचय :-
- यहां पर ट्रस्ट के साथ ही जो भी कर्मचारी हैं वे सभी निष्ठा भाव से मंगल ग्रह मंदिर की सेवा में लगे हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री दिगंबर महाले हैं और उपाध्यक्ष सुरेश नीलकंठ पाटिल, श्री दिलीप तिवारी हैं। सचिव सुरेश भगवान बाविस्कर, संयुक्त सचिव दिलीप आत्माराम बहिराम, कोषाध्यक्ष गिरीश विश्वनाथ कुलकर्णी, ट्रस्टी अनिल श्रीधरराव अहिरराव, श्रीमती जयश्री आत्माराम साबे, श्रीदंगलदास आधार सोनवणे, परिचारक विनोद कदम आदि ट्रस्ट में शामिल हैं। ट्रस्ट के सभी लोग सामाजिक, चिकित्सा, शैक्षणिक गतिविधियों को आयोजित कराते रहते हैं।
 
- पीआरओ में शरद कुलकर्णी चंद्रकांत सोनार, लक्ष्मीकांत सोनार, उमेश आदि हैं। मंदिर प्रबंधन में करीब 75 से ज्यादा सेवकरी लगे हुए हैं। यहां के जो कर्मचारी हैं उन सभी का पीएफ कटता है और उनके बच्चों की हेल्थ एवं एजुकेशन का ध्यान मंगल ग्रह संस्थान ही रखता है।
 
- पंडित और विद्वानों की टीम में पंडित प्रसाद भंडारी गुरुजी हैं और प्रमुख पुरोहित केशव पुराणिक हैं। दोनों के ही सानिध्य में पंडितों की टीम पूजा और अभिषेक कराती हैं। तुषार दीक्षित, अतुल दीक्षित, जयेंद्र वैद्य, मंदार कुलकर्णी, अक्षय जोशी, नरेंद्र उपासनी, हेमंत गोसावी आदि के साथ ही वादक अंकुश जोशी और चंद्रकांत जोशी हैं।
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कैसे पहुंचे श्री मंगल देव मंदिर अमलनेर महाराष्ट्र | how to reach shri mangal dev graha mandir amalner maharashtra:
 
- जलगांव से अमलनेर की दूरी | jalgaon to amalner distance: यहां पहुंचने के लिए आप महाराष्ट्र के जलगांव पहुंचे। अमलनेर जलगांव जिले में ही स्थित एक गांव है। अमलनेर जलगांव से 58.1 किमी दूर है।
 
- धुले से अमलनेर की दूरी | dhule to amalner distance: आप यहां जाना चाहते हैं तो धुले नामक शहर पहुंचकर भी यहां से सड़क मार्ग से जा सकते हैं। धुले अमलनेर 36.4 किलोमीटर की दूरी पर है।
 
- अमलनेर से मंगलदेव मंदिर की दूरी | amalner to mangal dev mandir distance: अमलनेर गांव से श्री मंगल ग्रह के लिए मंदिर रास्ता करीब 2.5 किलोमीटर दूर का है। मंदिर तक के लिए कई वाहन उपलब्ध हैं।
 
पूरा पता है- मंगल ग्रह मंदिर, चोपड़ा रोड, धनगर गली, अमलनेर, जिला जलगांव, महाराष्ट्र-425401 | Mangal Grah Mandir, Chopra Rd, Dhangar Galli, Amalner, Maharashtra 425401
 
मंदिर की वेबसाइट : https://mangalgrahamandir.com/

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