हिंदू पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2023 को रात 8 बजकर 14 मिनट पर सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे और इस गोचर के बाद ही मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। उदयातिथि के अनुसार अगले दिन यानी 15 जनवरी की सुबह मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। हालांकि पंचांगभेद से यह त्योहार दोनों दिन रहेगा। 14 तारीख को लोहड़ी और लाल लोई दोनों ही पर्व मनाएंगे जाएंगे। मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा का खास महत्व होता है।
सूर्य पूजा । Surya Puja Vidhi:
- स्नान आदि से निवृत्त होकर पानी में लाल चंदन मिलाकर तांबे के छोटे कलश से सूर्यदेव को जल चढ़ाएं।
- रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- लाल दीपक यानी घी में लाल चंदन मिलाकर दीपक लगाएं। गुग्गुल की धूप भी करें।
- भगवान सूर्य को लाल फूल चढ़ाएं। रोली, केसर, सिंदूर आदि चढ़ाना चाहिए।
- गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं, तिल, खिचड़ी, दूध, चावल और मिश्री का भोग भी लगाएं।
- पूजन के बाद नैवेद्य लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में बांट दें।
- सूर्य मंत्र का श्रद्धानुसार जाप करें। लाल चंदन की माला से “ॐ दिनकराय नमः” मंत्र का जाप करें।
मकर संक्रांति की पूजा कैसे करें । Makar Sankranti Puja: मकर संक्रांति पर सूर्यदेव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। इसलिए इस दिन दोनों की पूजा होती है। शनि महाराज की काले तिल और सरसों के तेल से पूजा करते हैं और सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा का भी विधान है। तिल और जल से उनकी पूजा करते हैं।
स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने आराध्य देव की आराधना करें। श्रीहरि विष्णु, लक्ष्मी, श्रीकृष्ण या सूर्यदेव के चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। मूर्ति है तो स्नान कराएं। अब चित्र के समक्ष धूप, दीप लगाएं। फिर सूर्यदेव के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल आदि लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। षोडष तरीके से पूजा करने के बाद आरती करें और पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। सूर्यदेव को मकर संक्रांति पर खिचड़ी, गुड़ और तिल का भोग लगाएं। अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
मकर संक्रांति पर पूजा का शुभ मंत्र : Makar Sankranti Surya Mantra:
1.ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
सूर्य को अर्घ्य देना | Surya ko arghya dena ke fayde : मकर संक्रांति को सूर्य को अर्घ्य देने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल चंदन, रोली, लाल कनेर के पुष्प, अक्षत और गुड़ डालकर अर्घ्य देने से सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा कार्य करने के प्रति आत्मविश्वास जागृत होता है। सूर्य पिता का कारक है और जिस तरह पिता के होने से व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है उसी तरह सूर्य की शीतल रश्मियां जल के साथ जब ह्रदयस्थल पर पड़ती है तो दिल मजबूत होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह हर तरह की सेहत प्रदान करता है।