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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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महाराष्ट्रीयन परिवारों में मकर संक्रांति पर क्यों होता है हल्दी कुमकुम का आयोजन

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पर्व कोई भी हो, इसे मनाने के पीछे कोई न कोई कारण जुड़ा होता है और उन्हीं बातों को याद करते हुए उनसे कुछ सीख लेने के लिए हम त्योहारों को उमंग-उत्साह से मनाते हैं। मकर संक्रांति का पावन पर्व नजदीक आ गया है, आपने इस पर्व को मनाने की तैयारी काफी पहले से शुरू कर दी होगी। मकर संक्रांति का महत्व इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इस दिन सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण में आ जाता है अर्थात्‌ सूर्य यात्रा उत्तरायण में शुरू हो जाती है जो कि शुभ माना जाता है।
 
कहते हैं मकर संक्रांति से दिन तिल-तिल बढ़ता है। इस दिन से महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए व परिवार की सुख-शांति के लिए मकर संक्रांति से वसंत पंचमी व चैत्र माह के पूरे महीने हल्दी कंकु का आयोजन करती है। इस दिन बच्चों में भी विशेष उत्साह देखा जा सकता है। बच्चे हो या बड़े सभी मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का आनंद लेते हैं। पूरा आकाश नीले-पीले, लाल, हरे, पतंगों से सराबोर दिखाई देता है।    
 
महाराष्ट्रीयन समाज में इस पर्व का विशेष महत्व है। इस पर्व पर महिलाएं एक-दूसरे को मिट्टी के छोटे से मटकेनुमा बर्तन में चने के होले, तिल-गुड़ के लड्डू, मूंग, चावल, गाजर व बोर मिला कर भर कर देती हैं। मकर संक्रांति के दिन विवाहित महिलाएं आपस में एक-दूसरे को हल्दी कुमकुम का टीका लगाती है, तिल से बनी मिठाई खिलाती है और मेहमान महिलाओं को सुहाग की चीजें जैसे- बिछिया, पायजब, कंगन, कुंकुम, बिन्दी आदि उपहार में देती है। 'तीळ गुळ घ्या, गोड़ गोड़ बोला' कहकर सभी एक-दूसरे को शुभकामनाएं देती हैं। संक्रांति के दिन नई बहू व नवागंतुक शिशु को तिल के सुंदर गहने पहनाए जाते हैं। वहीं गुजरात में इस दिन बाजरे के रोटले के साथ उन्घिया छत पर बैठकर चटखारे ले-लेकर खाया जाता है।
 
इस दिन सुबह तिल, मलाई, हल्दी को मिलाकर उबटन करने को अपना अलग ही मजा है। यह उबटन त्वचा को सुंदर व कांतिमय बना देता है। आज के दिन दान का विशेष महत्व माना गया है। ब्राह्मणों को भोजन करवाना, दक्षिणा देना, गाय को घास देना, इस पर्व पर विशेष रूप से किए जाते हैं।
 
इस दिन बच्चों में भी विशेष उत्साह देखा जा सकता है। बच्चे हो या बड़े सभी मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का आनंद लेते हैं। पूरा आकाश नीले-पीले, लाल, हरे, पतंगों से सराबोर दिखाई देता है। इस प्रकार यह त्योहार मिलने मिलाने तिल-गुड़ खाने और सामाजिकता का त्योहार है। हल्दी कुमकुम के इस त्योहार का उत्साह खास तौर पर महाराष्ट्र में अधिक देखा जा सकता है।

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