इस बार की मकर संक्रांति है मन्दाकिनी, जानिए कौनसे कार्य करना होगा शुभ

अनिरुद्ध जोशी
मंगलवार, 14 जनवरी 2020 (11:23 IST)
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करने को संक्रांति कहते हैं। वर्ष में 12 संक्रांतियां होती है जिसमें से 4 संक्रांति ही महत्वपूर्ण हैं जिनमें मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति प्रमुख हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्राति के दिन से ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगता है।
 
 
वार और नक्षत्र अनुसार मकर संक्रांति का अलग-अलग महत्व है। इस बार विक्रम संवत 2076, ईसवी वर्ष 2020 में सूर्य 14 जनवरी की मध्य रात्रि 1 बजकर 55 मि. दिन बुधवार को मकर राशि में पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दौरान प्रवेश करेंगे। अत: वर्ष 2020 में मकर-संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। चूंकि यह सूर्य से संबंधित उत्सव है इसलिए यह रात्रि में नहीं मनाया जाता। बुधवार को सुबह यह उत्सव मनाया जाएगा।
 
 
किसी वार की कौनसी संक्रांति : शास्त्रों में बारह संक्रान्तियां सात प्रकार की, सात नामों वाली हैं, जो किसी सप्ताह के दिन या किसी विशिष्ट नक्षत्र के सम्मिलन के आधार पर उल्लिखित हैं। रविवार को घोरा, सोमवार को ध्वांक्षी, मंगलवार को महोदरी, बुधवार को मंदाकिनी, गुरुवार को मन्दा, शुक्रवार को मिश्रिता एवं शनिवार को पड़ने वाली संक्रांति को राक्षसी कहा गया है। मंदाकिनी संक्रांति को राजाओं, सैनिकों या देश एवं राज्य का नेतृत्व कर रहे लोगों के लिए उत्तम मानी गई है।
 
 
नक्षत्र युक्त संक्रांति : नक्षत्र युक्त संक्रांति के भी सात भाग है जिन्हें ध्रुव, मृदु, क्षिप्र, उग्र, चर, क्रूर या मिश्रित कहा जाता है। 27 या 28 नक्षत्र को सात भागों में विभाजित हैं- ध्रुव (या स्थिर)- उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपदा, रोहिणी, मृदु- अनुराधा, चित्रा, रेवती, मृगशीर्ष, क्षिप्र (या लघु)- हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजित, उग्र- पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपदा, भरणी, मघा, चर- पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, स्वाति, शतभिषक क्रूर (या तीक्ष्ण)- मूल, ज्येष्ठा, आर्द्रा, आश्लेषा, मिश्रित (या मृदुतीक्ष्ण या साधारण)- कृत्तिका, विशाखा। उक्त वार या नक्षत्रों से पता चलता है कि इस बार की संक्रांति कैसी रहेगी।
 
 
इस बार की मकर संक्रांति : बुधवार को आने वाले संक्रांति को मन्दाकिनी कहा गया है। बुधवार को सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा इसके बाद उत्तरा फाल्गुनी लगेगा जो अगले दिन सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र उग्र संज्ञक है जिसे व्यापार करने, शोध कार्य करने, खोज करने, भट्टी लगाने सर्जरी करने आदि के लिए शुभ बताया गया है जबकि उत्तरा फाल्गुनी ध्रुव अर्थात स्थिर संज्ञक है जिसे भवन निर्माण कार्य, बागवानी, कृषि कार्य, गृहप्रवेश, नौकरी ज्वाइन करने, उपनयन संस्कार आदि के लिए शुभ बताया गया है।

पुनश्च: इस बार की मकर संक्रांति बुधवार को पूर्वा फाल्गुनी और उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के दौरान रहेगी। वार मंदाकिनी है, नक्षत्र उग्र और स्थिर संज्ञक है। परिधावी संवत्सर में माघ कृष्ण पंचमी रहेगी, योग शोभन और करण तैतिल रहेगा। सिंह राशि में चंद्र और कुंभ लग्न, मकर में सूर्य होंगे। कन्या, मकर और मीन राशि वालों के लिए यह संक्रांति थोड़ी कष्‍ट देने वाली मानी गई है।
 

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