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Ramgiri Maharaj : रामगिरी महाराज की मांग 'वंदे मातरम्' हो भारत का राष्ट्रगान, जितेंद्र आव्हाड़ बोले- जूते से पीटने का समय आ गया

रामगिरी बोले- रवींद्रनाथ टैगोर ने जॉर्ज पंचम के सामने गाया था 'जन गण मन'

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हमें फॉलो करें Ramgiri Maharaj : रामगिरी महाराज की मांग 'वंदे मातरम्' हो भारत का राष्ट्रगान, जितेंद्र आव्हाड़ बोले- जूते से पीटने का समय आ गया

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

छत्रपति संभाजीनगर , बुधवार, 8 जनवरी 2025 (17:11 IST)
Ramgiri Maharaj News : धार्मिक नेता रामगिरि महाराज (ramgiri maharaj) ने कहा है कि भारत का राष्ट्रगान 'वंदे मातरम्’ होना चाहिए। रवींद्रनाथ टैगोर (rabindranath tagore) ने ‘जन गण मन’ मूल रूप से बंगाली में लिखा था। संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को इसके हिन्दी संस्करण को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया था। रामगिरि महाराज ने मंगलवार को महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर शहर में दावा किया कि यह गीत रवींद्रनाथ टैगोर ने 1911 में कोलकाता में गाया था। उस समय देश स्वतंत्र नहीं था। 
 
उन्होंने इसे तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम के सामने गाया था, जो भारत में अन्याय कर रहे थे। यह गीत देश को संबोधित नहीं था। उन्होंने कहा कि हमें इसके लिए (वंदे मातरम् को राष्ट्रगान बनाने के लिए) संघर्ष शुरू करना होगा। वंदे मातरम् हमारा राष्ट्रगान होना चाहिए।
 
बाद में जब पत्रकारों ने उनसे इस विवादास्पद टिप्पणी के बारे में पूछा तो रामगिरि महाराज ने कहा कि यह सम्मान या अनादर की बात नहीं है बल्कि सच बोलने की बात है। उन्होंने कहा कि अगर सच बोलने को अनादर कहा जा रहा है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’’
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विवादित बयानों से चर्चाओं में : रामगिरि की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि अब समय आ गया है कि रामगिरि को जूते से पीटा जाए। अब उन्हें ‘जन गण मन’ पर भी आपत्ति है। तो उन्हें ('जन गण मन' पर) प्रतिबंध की मांग करनी चाहिए। अब अति हो गई है।’’ 
 
धार्मिक नेता ने पिछले साल पैगंबर मोहम्मद और इस्लाम के बारे में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया था जिसके बाद महाराष्ट्र में उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे। 
कौन हैं रामगिरि महाराज : रामगिरि महाराज को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि रामगिरि का असली नाम सुरेश रामकृष्ण राणे है। उनका जन्म जलगांव में हुआ था और उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा भी उसी क्षेत्र में पूरी की। 1988 में जब वे 9 वीं कक्षा में थे तब वे स्वद्यय केंद्र से जुड़ गए और पवित्र गीता का अध्ययन करना शुरू कर दिया।
 
10 वीं कक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अहमदनगर जिले के आईटीआई कॉलेज केदगांव में दाखिला लिया, बाद में उन्होंने आध्यात्म का रास्ता चुना और 2009 में उन्होंने नारायणगिरि महाराज से दीक्षा ली। नारायणगिरि महाराज की मृत्यु के बाद उन्होंने सरला द्वीप के द्रष्टा के रूप में पदभार संभाला। इनपुट भाषा  Edited by : Sudhir Sharma

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