मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के 27 दिन बाद भी महाराष्ट्र को नई सरकार नहीं मिल पाई है। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा-शिवसेना का गठबंधन बना, लेकिन सत्ता में साझेदारी को लेकर दोनों अलग हो गए।
एनडीए से दूर होने के बाद अपने 'सत्ता स्वप्न' को हकीकत में बदलने के लिए शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ तालमेल बैठाने की पुरजोर कोशिश कर रही है, लेकिन दोनों ही पार्टियां न तो खुलकर समर्थन दे रही हैं, न ही इंकार कर रही है। दरअसल, शिवसेना एनसीपी प्रमुख शरद पवार के 'पावरगेम' में उलझकर रह गई है। महाराष्ट्र में नई सरकार की सत्ता के 'तिलिस्म' की चाबी अब शरद पवार के हाथों में है।
शरद पवार आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने जा रहे हैं। इस मुलाकात को लेकर ऊपरी तौर पर बयान तो यह आ रहे हैं कि वे महाराष्ट्र में किसानों की बर्बाद हुई फसलों पर चर्चा करेंगे, लेकिन कुछ मीडिया चैनलों पर यह खबर आ रही है कि बीजेपी शरद पवार को राष्ट्रपति पद का ऑफर देकर महाराष्ट्र में एनसीपी को साथ में लेकर सत्ता के सिंहासन तक पहुंच सकती है।
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीपी प्रशंसा की थी। इसके बाद ये कयास भी लगने लगे हैं कि पीएम मोदी शरद पवार के साथ महाराष्ट्र में मचे राजनीतिक घमासान पर विराम लगा सकते हैं।
पीएम मोदी ने बीजू जनता दल के साथ ही एनसीपी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि जनता का दिल जीतना इन दोनों पार्टियों से सीखना चाहिए। उन्होंने सदन में चर्चा के दौरान इन दोनों पार्टी के सांसदों के 'वेल' में नहीं आने को लेकर प्रशंसा की थी।
शरद पवार की राजनीति के बारे में कहा जाता है कि वे जो कहते हैं वो करते नहीं और जो करते हैं वह कहते नहीं हैं। पवार ने अपने बयान में साफ कहा था कि महाराष्ट्र में सरकार गठन पर भाजपा और शिवसेना को फैसला करना है। इधर शिवसेना के साथ आने के सवाल पर कांग्रेस भी मौन है।
शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत पीएम और पवार की मुलाकात पर भले ही यह कह रहे हों कि इसमें कुछ खिचड़ी नहीं पक रही है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में मुलाकात पर कई कयास लगाए जा रहे हैं।