Maharashtra elections : कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए उनसे पूछा कि भाजपा राज्य में किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए क्या कर रही है?
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने चिमुर और सोलापुर में प्रधानमंत्री की रैलियों से पहले उनके सामने कुछ सवाल रखे और पूछा कि भाजपा ने महाराष्ट्र में आदिवासियों के वन अधिकारों को कमजोर क्यों कर दिया है?
उन्होंने कहा कि 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) पारित किया था जो आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने खुद के जंगलों का प्रबंधन करने तथा उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक लाभ उठाने का कानूनी अधिकार देता था।
रमेश ने कहा ग्स भाजपा सरकार एफआरए के कार्यान्वयन में बाधा डालती रही है, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो रहे हैं। महाराष्ट्र में दाखिल किए गए 4,01,046 व्यक्तिगत दावों में से केवल 52 प्रतिशत (2,06,620 दावों) को मंजूरी दी गई है और इसके तहत वितरित की गई भूमि स्वामित्व सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 50,045 वर्ग किलोमीटर का केवल 23.5 प्रतिशत (11,769 वर्ग किलोमीटर) है। उन्होंने पूछा कि भाजपा सरकार महाराष्ट्र में आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार दिलाने में नाकाम क्यों रही है।
रमेश ने पूछा कि प्रधानमंत्री ने सतारा और सोलापुर में पानी की कमी को दूर करने के लिए क्या किया है? सतारा, सांगली और सोलापुर में पीने के पानी की कमी की समस्या हाल के वर्षों में और गम्भीर हो गई है। मार्च और अप्रैल 2024 के बीच, सांगली में टैंकरों की आवश्यकता 13 प्रतिशत, सतारा में 31 प्रतिशत और सोलापुर में 84 प्रतिशत बढ़ गई। क्षेत्र के बांध, तालाब और झीलें चिंताजनक रूप से तेजी से सूख रहे हैं। सोलापुर में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।
उन्होंने कहा कि शहर में पानी के मुख्य स्रोत उजानी बांध में पानी की आपूर्ति शून्य से नीचे गिर गई है और शहर बांध में डेड स्टोरेज पर निर्भर रहा। स्थिति इतनी खराब हो गई कि सोलापुर नगर निगम को अब बारी-बारी से पीने के पानी की आपूर्ति करनी पड़ी। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पांच से आठ दिनों के अंतराल पर पानी मिल रहा था।
रमेश ने कहा कि हमारे पास नॉन-बॉयोलॉजिकल प्रधानमंत्री हैं और भाजपा ने उन हजारों लोगों की दुर्दशा को नजरअंदाज क्यों किया है जो पानी की कमी से जूझते हैं? क्या इस स्थिति को सुधारने के लिए उनके पास कोई ठोस योजना है? उन्होंने भाजपा से पूछा कि वह किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए क्या कर रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में एक दिन में औसतन सात किसान अपनी जान दे रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि दिल दहला देने वाला यह आंकड़ा किसी और की तरफ से नहीं बल्कि राज्य के राहत और पुनर्वास मंत्री की ओर से आया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल जनवरी से अक्टूबर के बीच 2,366 किसानों ने आत्महत्या की। कारण स्पष्ट हैं कि पिछले साल 60 प्रतिशत जिलों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा लेकिन सरकार से कोई मदद नहीं मिली।
Edited By : Nrapendra Gupta