मुंबई। चुनाव विश्लेषकों की मानें तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की नजर बड़ी जीत हासिल करने पर है और उसको भरोसा है कि वह दोबारा सरकार बनाने में कामयाब होगी जबकि विपक्षी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बिखरी हुई नजर आ रही है।
अगले महीने की 21 तारीख को होने वाले चुनाव के लिए भाजपा और शिवसेना ने सीटों के बंटवारे को लेकर समझौते का ऐलान नहीं किया है लेकिन अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा को पूरा भरोसा है कि वह एक बार फिर भारी बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में वापसी करेगी।
भाजपा के शीर्ष नेता लगातार जोर दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस राज्य की कमान संभालेंगे लेकिन भाजपा की सहयोगी शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को इस पद के लिए दावेदार के रूप में पेश करना चाहते हैं।
शिवसेना सूत्रों ने कहा कि पार्टी कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हो सकती है बशर्ते आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री पद दिया जाए। माना जा रहा है कि इस चुनाव में वे अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं का एक धड़ा इस रणनीति से असहज है।
भाजपा ने स्पष्ट किया है कि महाराष्ट्र चुनाव में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के केंद्र का फैसला उसका मुख्य मुद्दा होगा। शाह ने पिछले हफ्ते लोगों से अपील की थी कि इस फैसले का विरोध करने वाली कांग्रेस और राकांपा की उसकी हैसियत दिखाएं।
विश्लेषक ने रेखांकित किया कि चुनाव से पहले फडणवीस ने 'महाजनादेश यात्रा' के तहत 288 सीटों में से 140 सीटों का दौरा किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार भी राज्य का दौरा कर रहे हैं जबकि कांग्रेस महाराष्ट्र में सर्वमान्य नेता की अनुपस्थिति में दिशाहीन नजर आ रही है। कांग्रेस-राकांपा के कई नेता गत महीनों में भाजपा या शिवसेना में शामिल हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दृष्टिकोण और दिशा में स्पष्टता नहीं है, उम्मीदवारों के चयन में भी पारदर्शिता की कमी है। सूत्र ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट के साथ 5 कार्यकारी अध्यक्षों को नियुक्त किया गया लेकिन सीट बंटवारे को लेकर राकांपा को भरोसे में नहीं लिया गया।
उन्होंने कहा कि थोराट और सभी 5 कार्यकारी अध्यक्ष आगामी चुनाव लड़ रहे हैं और वे अपनी सीटों के अलावा बाकी सीटों पर ध्यान नहीं दे सकेंगे। विपक्षी राकांपा अपनी ही समस्याओं से जूझ रही है और शरद पवार खुद महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले में फंसे हैं।
इन 4 प्रमुख पार्टियों के अलावा प्रकाश आम्बेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अगाड़ी (वीबीए) ने भी कांग्रेस-राकांपा गठबंधन में शामिल होने से इंकार कर सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। लोकसभा में आम्बेडकर की पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया था।
एआईएमआईएम ने भी वीबीए से करार तोड़ दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह देखना रोचक होगा कि इस घटनाक्रम से कांग्रेस-राकांपा को कैसे लाभ होता है।