महाभारत में सबसे शक्तिशाली महिला कौन थीं?

WD Feature Desk
सोमवार, 8 जुलाई 2024 (16:33 IST)
Mahabharat ke shaktishali mahila ka naam: महाभारत में सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है। इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत का समग्र इतिहास वर्णित है। यह ग्रंथ अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जन-जीवन को यह प्रभावित करता रहा है। आओ जानते हैं महाभारत की उन महिलाओं के बारे में जो थीं सबसे शक्तिशाली लेकिन उनमें भी एक महिला थीं सबसे शक्तिशाली।
 
1. सत्यवती : गंगा के बाद राजा शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती थीं। सत्यवती के शरीर से मछली की ही गंध आती रहती थी। कहते हैं कि सत्यवती ही एक प्रमुख कारण थी जिसके चलते हस्तिनापुर की गद्दी से कुरुवंश नष्ट हो गया। सत्यवती को पराशर मुनी से कुआंरी बने रहने का वरदान मिला था। वेदव्यास उन्हीं के पुत्र थे। सत्यवती की संपूर्ण राज्य पर पकड़ थी और भीष्म पितामह भी उन्हीं के आदेश का पालन करते थे।ALSO READ: रामायण और महाभारत के योद्धा अब कलयुग में क्या करेंगे?
 
2. गांधारी : गांधारी की आंखों में अद्भुत शक्ति थी। गांधारी ने ही अपनी शक्ति के बल पर दुर्योधन के अंग को वज्र के समान बना दिया था। लेकिन श्रीकृष्ण की चतुराई के चलते उसकी जंघा वैसी की वैसी ही रह गई थी। क्योंकि श्रीकृष्ण ने कहा था कि मां के समक्ष नग्न अवस्था में जाना पाप है। गांधारी मानती थी कि श्रीकृष्ण के कारण ही महाभारत का युद्ध हुआ और उन्हीं के कारण मेरे सारे पुत्र मारे गए। तभी तो गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को उनके कुल का नाश होने का श्राप दिया था। सत्यवती के बाद हस्तिनापुर में गांधारी की ही चलती थी। खास बात यह कि उन्होंने 10 पुत्रों को जन्म दिया था। द्रौपदी के बाद गांधारी को सबसे शक्तिशाली महिला माना जाता है।
 
3. कुंती : कुंती को यह वरदान था कि वह किसी भी देवता को बुलाकर उनके साथ नियोग कर सकती थी। इस विद्या को उसने माद्री को भी सीखा दिया था। जिसके चलते माद्री को नकुल और सहदेव नामक दो पुत्र मिले और कुंति के पुत्र कर्ण, युद्धिष्ठिर, अर्जुन और भीम थे। कुंती वसुदेवजी की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ थीं। यह शरीरिक और मानसिक रूप बहुत शक्तिशाली थीं और इनके सपोर्ट में स्वयं भगवान श्रीकृष्‍ण थें। गांधारी के बाद कुंती थीं जो सबसे शक्तिशाली महिला थीं।ALSO READ: दुर्योधन नहीं ये योद्धा था कर्ण का सबसे खास मित्र, दोनों ने कोहराम मचा दिया था महाभारत में
4. द्रौपदी : कहते हैं कि द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ था इसीलिए उसे याज्ञनी कहा जाता था। द्रौपदी को पंचकन्याओं में शामिल किया गया है। पुराणानुसार पांच स्त्रियां विवाहिता होने पर भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गई है। अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा और मंदोदरी। यह दिव्य कन्या थीं। पांडवों से विवाह होने के बाद यह हस्तिनापुर की राजनीतिक के केंद्र में आकर शक्तिशाली महिला बन बैठी थीं। श्री कृष्‍ण की भक्ति के चलते यह और भी ज्यादा ताकतवर हो गई थीं। सभी महिलाओं में द्रौपदी को सबसे शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि वह हर समय हस्तिनापुर की राजनीति में सीधे सीधे शामिल थीं और उन्हीं के कारण यह महाभारत का युद्ध हुआ था। 
 
5. भानुमति : दुर्योधन की पत्नी भानुमति युद्ध कला, शतरंज और कुश्ती में पारंगत थी। कहते हैं कि एक दिन उसने कुश्ती में दुर्योधन को भी पटकनी दे दी थी। भानुमति के कारण ही यह मुहावरा बना है- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा। भानुमति बेहद ही सुंदर, आकर्षक, तेज बुद्धि और शरीर से काफी ताकतवर थी। गंधारी ने सती पर्व में बताया है की भानुमति दुर्योधन से खेल-खेल में ही कुश्ती करती थी जिसमें दुर्योधन उससे कई बार हार भी जाता था। जिस तरह  हस्तिनापुर की राजनीति् में द्रौपदी का दखल था उसी तरह भानुमति का भी दखल था।ALSO READ: Mahabharat : विदुर ने भीष्म और श्रीकृष्‍ण ने कर्ण को ऐसा रहस्य बताया कि बदल गई महाभारत
 
6. हिडिम्बा : राक्षस जाति की हिडिम्बा को पांडु पुत्र भीम से प्रेम हो गया था। उसने अपनी माया से सुंदर शरीर धरकर भीम से विवाह किया और बाद में वह अपने असली रूप में आ गई। हिडिम्बा और भीम का पुत्र घटोत्कच था। घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक था। बर्बरीक को वर्तमान में बाबा खाटू श्याम के नाम से जानते हैं। द्रौपदी के शाप के कारण ही महाभारत के युद्ध में घटोत्कच कर्ण के हाथो मारा गया था।
 
7. उलूपी : अर्जुन की पत्नी उलूपी भी मायावी शक्ति से संपन्न महिला थीं। कहते हैं कि उलूपी जलपरी थी। उन्हीं ने अर्जुन को जल में हानिरहित रहने का वरदान दिया था। इसके अलावा उसी ने चित्रांगदा और अर्जुन के पुत्र वभ्रुवाहन को युद्ध की शिक्षा दी थी। महाभारत युद्ध में अपने गुरु भीष्म पितामह को मारने के बाद ब्रह्मा-पुत्र से शापित होने के बाद उलूपी ने ही अर्जुन को शापमुक्त भी किया था। एक अन्य युद्ध में अपने पुत्र के हाथों मारे जाने पर उलूपी ने ही अर्जुन को पुनर्जीवित भी कर दिया था।
 
8. सुभद्रा : सुभद्रा तो कृष्ण की बहन थीं जिसने कृष्ण के मित्र अर्जुन से विवाह किया था, जबकि बलराम चाहते थे कि सुभद्रा का विवाह कौरव कुल में हो। बलराम के हठ के चलते ही तो कृष्ण ने सुभद्रा का अर्जुन के हाथों हरण करवा दिया था। बाद में द्वारका में सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह विधिपूर्वक संपन्न हुआ। विवाह के बाद वे 1 वर्ष तक द्वारका में रहे और शेष समय पुष्कर क्षेत्र में व्यतीत किया। 12 वर्ष पूरे होने पर वे सुभद्रा के साथ इन्द्रप्रस्थ लौट आए। सुभद्रा अभिमन्यु की माता थीं। बाद में उन्हें योग माया के नाम से भी जाना गया।ALSO READ: Mahabharat : महाभारत में जिन योद्धाओं ने नहीं लड़ा था कुरुक्षेत्र का युद्ध, वे अब लड़ेंगे चौथा महायुद्ध
 
9. वृषाली : कर्ण की दो पत्नियां थीं। दोनों ही बहुत सुंदर थी। 'अंग' देश के राजा कर्ण की पहली पत्नी का नाम वृषाली था। वृषाली से उसको वृषसेन, सुषेण, वृषकेत नामक 3 पुत्र मिले। वृषाली दुर्योधन के रथ के सारथी सत्यसेन की बहन थी। कहते हैं कि वृषाली ने कर्ण की मृत्यु के बाद उनकी चिता पर ही समाधी ले ली थी। वह बहुत चरित्रवान और पतिव्रता थी। वृषाली हस्तिनापुर की के हर राज को जानती थीं। वृषाली के बारे में मान्यता है कि उसने द्रौपदी को सलाह दी थी कि तुम महल छोड़कर अपने पिता या भाई के यहां चली जाओ। लेकिन द्रौपदी ने उसकी सलाह नहीं मानी। कुछ दिन बाद ही द्रौपदी का चीरहरण हो गया।

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