श्री कृष्ण का द्रौपदी से संबंध जानकर सचमुच आप चौंक जाएंगे

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020 (17:14 IST)
महाभारत में कुं‍ती पुत्र युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम एवं माद्री पुत्र नकुल और सहदेव की पत्नी द्रौपदी थीं। राजा द्रुपद की बेटी द्रौपदी को पांचाली भी कहा जाता है। कृष्ण और द्रौपदी में क्या रिश्ता था? आओ जानते हैं।
 
 
द्रौपदी का मूल नाम कृष्णा था। द्रौपदी का नाम कृष्णा इसलिए था क्योंकि वह भी सांवली थीं। भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी अच्छे मित्र थे। द्रौपदी उन्हें सखा तो कृष्ण उन्हें सखी मानते थे। कृष्ण ने द्रौपदी के हर संकट में साथ देकर अपनी दोस्ती का कर्तव्य निभाया था। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की मांसपेशियां मृदु परंतु युद्ध के समय विस्तॄत हो जाती थीं इसलिए सामान्यत: लड़कियों के समान दिखने वाला उनका लावण्यमय शरीर युद्ध के समय अत्यंत कठोर दिखाई देने लगता था। कहते हैं कि यही खासियत द्रौपदी के शरीर में भी थी।
 
 
एक अन्य कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया गया, उस समय श्रीकृष्ण की अंगुली भी कट गई थी। अंगुली कटने पर श्रीकृष्ण का रक्त बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर श्रीकृष्ण की अंगुली पर बांधी थी।
 
 
इस कर्म के बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को आशीर्वाद देकर कहा था कि एक दिन मैं अवश्य तुम्हारी साड़ी की कीमत अदा करूंगा। इन कर्मों की वजह से श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी साड़ी को इस पुण्य के बदले ब्याज सहित इतना बढ़ाकर लौटा दिया और उनकी लाज बच गई।
 
 
अन्य पौराणिक रहस्य :
1.द्रोपदी चाहती थी श्रीकृष्ण को : ऐसी भी किंवदंती है कि पांडव और कर्ण से पूर्व द्रौपदी कृष्ण चाहती थी। वह उससे शादी करना चाहती थी क्योंकि कृष्ण सभी सर्वश्रेष्ठ थे। द्रौपदी की एक दासी थी जिसका नाम नितंबिनी था। वह कृष्ण की सारी खबरें उनके पास ले आती थीं और कृष्ण खुद जानते थे कि द्रौपदी उनको चाहती है, लेकिन एक दिन एक भेंट में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के समझाया और उन्हें अर्जुन के बारे में बताया। कहा कि अर्जुन इंद्र का पुत्र है अर्थात वह देवपुत्र है। वह आर्योपुत्रों में सर्वश्रेष्ठ है। इस तरह द्रौपदी का मन श्रीकृष्ण ने अर्जुन की ओर मोड़ दिया और दोनों मित्र बन गए।
 
 
2.द्रुपद चाहते थे द्रोपदी का विवाह कृष्ण ने करना : यह भी कहते हैं कि द्रुपद चाहते थे कि उनकी पुत्री द्रोपदी का विवाह आर्यावर्त के सर्वश्रेष्ठ योद्धा से हो, जो द्रोण को पराजित कर सके। उन्होंने सबसे पहले अर्जुन के बारे में सोचा। परन्तु उनको पता चला कि अर्जुन की मृत्यु वारणावत में अग्निकांड में हो गयी है, इसलिए उन्होंने दूसरे योद्धाओं के बारे में विचार किया। तब उनका ध्यान यादवों के एकछत्र नेता कृष्ण की ओर गया। उन्होंने कृष्ण को पांचाल आमंत्रित किया और उनके आने पर उनसे अपनी पुत्री द्रोपदी का पाणिग्रहण करने की प्रार्थना की। लेकिन जब कृष्ण को पता चला कि द्रुपद का असली उद्देश्य द्रोण से अपने अपमान का बदला लेना है और इसके लिए अपने जामाता का उपयोग करना चाहते हैं, तो कृष्ण ने उनकी पुत्री के साथ विवाह करने से विनम्रतापूर्वक मना कर दिया, क्योंकि वे स्वयं को किसी के व्यक्तिगत प्रतिशोध का मोहरा नहीं बनने देना चाहते थे।
 
 
कृष्ण के अस्वीकार से द्रुपद बहुत निराश हुए। उनकी निराशा को देखते हुए कृष्ण ने उनसे कहा कि मैं द्रोपदी के योग्य सर्वश्रेष्ठ वर का चुनाव करने में आपकी सहायता कर सकता हूं। द्रपुद ने उनका प्रस्वाव स्वीकार कर लिया या यह भी कहा कि मुझे ऐसा योद्धा चाहिए जो द्रोण को पराजित करके उनके अपमान का बदला चुका सके। तब उन्होंने सलाह दी की द्रोपदी के स्वयंवर में धनुर्वेद की एक बहुत कठिन प्रतियोगिता रखिए। जो उस प्रतियोगिता में विजयी होगा, वह सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर होगा। उसके साथ द्रोपदी का विवाह करके आप अपनी इच्छा पूर्ण कर सकते हैं। इसके बाद की कहानी तो आपको पता ही है।
 
 
अन्य खास बातें : श्रीकृष्ण और द्रौपदी दोनों ही सुंदर, सक्षम और वैचारिक रूप से समान थे। दोनों ही एक दूसरे को समझते ते। यही कारण था कि जब अर्जुन ने श्रीकृष्ण की बहन से विवाह किया तो द्रौपदी ने उसे सहज ही स्वीकार कर लिया। अर्थात उसने श्री कृष्ण की बहन को अपनी सह-पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
 
 
डॉ. राममनोहर लोहिया अपने एक लेख में कहते हैं कि ''महाभारत का नायक कृष्ण और नायिका कृष्‍णा (द्रौपदी)। द्रौपदी तो कृष्ण के लायक ही थी। अर्जुन समेत पांचों पांडव उसके सामने फीके थे। कृष्ण और कृष्णा का यह संबंध राधा और कृष्ण के संबंध से कम नहीं।'' राधा तो कृष्ण के साथ बचपन में ही रही थी इसके बाद तो उसका कृष्ण से कोई संबंध नहीं रहा। कहते हैं कि वर्षों बाद राधा बस एक बार वह द्वारिका आई थी, फिर उसके बाद उनकी कभी मुलाकात नहीं हुई। द्रौपदी का श्रीकृष्‍ण से संबंध बहुत ही आत्मीय था। लेकिन भक्ति काल के कवियों ने इसकी उपेक्षा की और राधा को ज्यादा महत्व दिया।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

सभी देखें

धर्म संसार

Bhishma Panchak 2024 : भीष्म पंचक व्रत आज से, जानें पूजा विधि और महत्व

Aaj Ka Rashifal: 11 नवंबर का दिन किन राशियों के लिए रहेगा शानदार, पढ़ें 12 राशियां

11 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

11 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Saptahik Muhurat 2024: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग 11 से 17 नवंबर

अगला लेख
More