Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

चीरहरण के समय श्रीकृष्ण द्वारा द्रौपदी की लाज बचाने के पीछे दो कारण थे, जानकर चौंक जाएंगे

हमें फॉलो करें चीरहरण के समय श्रीकृष्ण द्वारा द्रौपदी की लाज बचाने के पीछे दो कारण थे, जानकर चौंक जाएंगे

अनिरुद्ध जोशी

महाभारत में द्युतक्रीड़ा के समय युद्धिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया और दुर्योधन की ओर से मामा शकुनि ने द्रोपदी को जीत लिया। उस समय दुशासन द्रौपदी को बालों से पकड़कर घसीटते हुए सभा में ले आया। जब वहां द्रौपदी का अपमान हो रहा था तब भीष्मपितामह, द्रोणाचार्य और विदुर जैसे न्यायकर्ता और महान लोग भी बैठे थे लेकिन वहां मौजूद सभी बड़े दिग्गज मुंह झुकाएं बैठे रह गए। इन सभी को उनके मौन रहने का दंड भी मिला।
 
 
देखते ही देखते दुर्योधन के आदेश पर दुशासन ने पूरी सभा के सामने ही द्रौपदी की साड़ी उतारना शुरू कर दी। सभी मौन थे, पांडव भी द्रौपदी की लाज बचाने में असमर्थ हो गए। तब द्रौपदी ने आंखें बंद कर वासुदेव श्रीकृष्ण का आव्हान किया। श्रीकृष्ण उस वक्त सभा में मौजूद नहीं थे।
 
 
द्रौपदी ने कहा, ''हे गोविंद आज आस्था और अनास्था के बीच जंग है। आज मुझे देखना है कि ईश्वर है कि नहीं''...तब श्रीहरि कृष्ण ने सभी के समक्ष एक चमत्कार प्रस्तुत किया और द्रौपदी की साड़ी तब तक लंबी होती गई जब तक की दुशासन बेहोश नहीं हो गया और सभी सन्न नहीं रह गए। सभी को समझ में आ गया कि यह चमत्कार है।
 
 
कहते हैं कि श्रीकृष्ण द्वारा द्रौपदी की लाज बचाने के पीछे दो कारण थे। पहला यह कि वह उनकी सखी थीं और दूसरा यह कि उसने दो पुण्य कार्य किए थे। हालांकि यह दो कारण नहीं भी होते तो भी भगवान श्रीकृष्ण द्रौपदी की लाज बचाते।
 
पहला पुण्य कार्य : वह पुण्य कर्म यह था कि एक बार द्रौपदी गंगा में स्नान कर रही थी उसी समय एक साधु वहां स्नान करने आया। स्नान करते समय साधु की लंगोट पानी में बह गई और वह इस अवस्था में बाहर कैसे निकले? इस कारण वह एक झाड़ी के पीछे छिप गया। द्रोपदी ने साधु को इस अवस्था में देख अपनी साड़ी से लंगोट के बराबर कोना फाड़कर उसे दे दिया। साधु ने प्रसन्न होकर द्रौपदी को आशीर्वाद दिया।
 
 
दूसरा पुण्य : एक अन्य कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया गया, उस समय श्रीकृष्ण की अंगुली भी कट गई थी। अंगुली कटने पर श्रीकृष्ण का रक्त बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर श्रीकृष्ण की अंगुली पर बांधी थी।
 
 
इस कर्म के बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को आशीर्वाद देकर कहा था कि एक दिन अवश्य तुम्हारी साड़ी की कीमत अदा करुंगा। इन कर्मों की वजह से श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी को इस पुण्य के बदले ब्याज सहित इतना बढ़ाकर लौटा दिया और द्रौपदी की लाज बच गई। यह श्रीकृष्ण।।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जुलाई 2018 : वाहन खरीदने के शुभ योग व मुहूर्त