Mahabharat 13 May Episode 93-94 : भीम को मारने की कोशिश और पितामह भीष्म की मौत

अनिरुद्ध जोशी
बुधवार, 13 मई 2020 (20:05 IST)
बीआर चौपड़ा की महाभारत के 13 मई 2020 के सुबह और शाम के 93 और 94वें एपिसोड में दुर्योधन वध और अश्वत्थामा को श्राप देने के बाद धृतराष्ट्र के पास विदुरजी मिलने जाते हैं। रोते हुए धृतराष्ट्र कहते हैं कि तब के गए अब आ रहे हो अनुज? निश्चय भी शोक प्रकट करने आये होंगे?
 
बीआर चोपड़ा की महाभारत में जो कहानी नहीं मिलेगी वह स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें... वेबदुनिया महाभारत
 
तब विदुर बताते हैं कि किस तरह आपका पुत्र आपकी राजनीतिक का शिकार हो गया। विदुर और धृतराष्ट्र के बीच धर्म और अधर्म को लेकर चर्चा होती है। विदुर हर तरह से धृतराष्ट्र को इस युद्ध के लिए दोषी ठहराते हैं। बाद में धृतराष्ट्र कहते हैं कि मेरे 100 पुत्रों के वीरगति को प्राप्त करने के पश्चात युधिष्ठिर शोक प्रकट करने नहीं आए। 
ALSO READ: Mahabharat 12 May Episode 91-92 : दुर्योधन वध, अश्वत्‍थामा का प्रतिकार और श्रीकृष्ण का चमत्कार
फिर विदुर समझाते हैं कि अब भी आप धर्म को मान लीजिए राजन। मेरी विनती है कि विजयी पांडु पुत्र हस्तिनापुर आ चुके हैं। उन्हें आशीर्वाद दीजिए और वन की ओर प्रस्थान कीजिए भ्राताश्री। यह सुनकर धृतराष्ट्र मन-मसोककर रह जाते हैं।
 
श्रीकृष्ण सहित पांचों पांडवों का हस्तिनापुर के राजमहल में स्वागत होता है। सबसे पहले विदुर उनका स्वागत करते हैं। फिर भीतर सभी राजा धृतराष्ट्र के पास जाते हैं। तब धृतराष्ट्र खड़े होकर कहते हैं कि एक-एक करने आओ ताकि मैं तुम लोगों को पहचान सकूं।
 
यह सुनकर सबसे पहले श्रीकृष्ण आगे बढ़कर पास जाते हैं तो धृतराष्ट्र कहते हैं वासुदेव? फिर वासुदेव उन्हें नमस्कार करते हुए कहते हैं कि हस्तिनापुर नरेश के चरणों में सादर प्रणाम करता हूं। तब धृतराष्ट्र कहते हैं कि मैं तो समझा था कि पहले तुम शोक संवेदना प्रकट करोगे। तब श्रीकृष्ण और धृतराष्ट्र दोनों में के बीच वाद-विवाद होता है।
 
फिर युधिष्ठिर आगे बढ़कर धृतराष्ट्र के चरण स्पर्श करते हैं। धृतराष्ट्र कहते हैं आयुष्यमान भव। हे हस्तिनापुर नरेश आपके राजभवन में आपका स्वागत है। युधिष्ठिर कहता है कि महाराज तो आप ही हैं ज्येष्ठ पिताश्री। तब धृतराष्ट्र कहते हैं कि मुझे दान में राज देकर मेरा अपमान न करो युधिष्ठिर। यह कहकर वे कहते हैं कि अपने अनुजों को बुलाओ। भीम को बुलाओ।भीम मेरे निकट आओ पुत्र।
ALSO READ: Mahabharat 11 May Episode 89-90 : जब खुला दुर्योधन और पांडवों के समक्ष कर्ण का राज
भीम धीरे-धीरे धृतराष्ट्र के पास पहुंचने ही वाले रहते हैं तभी श्रीकृष्ण संकेत से उन्हें रोक देते हैं और एक मूर्ति को उनके समक्ष रखने का संकेत करते हैं। विदुर और पांडव यह समझ नहीं पाते हैं। भीम समझ जाता है और वह उसकी आदमकद मूर्ति को धीरे से उठाकर धृतराष्ट्र के सामने रख देता है।
 
फिर भीम धृतराष्ट्र के चरण स्पर्श करता है तो धृतराष्ट्र कहते हैं चरण स्पर्श नहीं पुत्र, आलिंगन करो। फिर श्रीकृष्ण इशारे से भीम को मना करके कहते हैं कि उस मूर्ति को आगे बढ़ाओ। भीम उस मूर्ति को आगे बढ़ा देते हैं।
 
तब धृतराष्ट्र क्रोध में उस मूर्ति को भीम समझकर उसका आलिंगन करते हैं और दुर्योधन का नाम लेते हुए उस मूर्ति को कस के पकड़ कर तोड़ देते हैं। यह देखकर श्रीकृष्ण मुस्कुरा रहे होते हैं। फिर धृतराष्ट्र रोते हुए अपने सिंहासन पर बैठ जाते हैं। रोते हुए कहते हैं, मेरे प्रिय अनुज पांडु, मुझे क्षमा कर देना। मैंने तुम्हारे पुत्र भीम की हत्या कर दी। 
 
तब श्रीकृष्ण कहते हैं नहीं राजन। मैं जानता था कि आप कितने क्रोध में हैं। इसीलिए भीम को तो मैंने आपके निकट ही नहीं आने दिया। तब धृतराष्ट्र कहते हैं क्या भीम जिंदा है? यह सुनकर भीम कहता है, मैं आपके आशीर्वाद की प्रतिक्षा कर रहा हूं ज्येष्ठ पिताश्री। यदि अब भी आपके क्रोध की अग्नि शांत नहीं हुई हो तो मैं स्वयं आपकी बाहों में आ जाता हूं।
 
यह सुनकर रोते हुए धृतराष्ट्र कहते हैं नहीं, पुत्र नहीं। ऐसा मत कहो। अपने 100 पुत्रों को खो देने वाला ये पिता अब अपने अनुज पुत्रों को नहीं खोना चाहता।...तब भीम कहते हैं कि आज्ञा हो तो मैं आपकी छाती से ये बहता लहू पोंछ दूं। यह सुनकर धृतराष्ट्र कहते हैं आयुष्यमान भव पुत्र, आयुष्यमान भव।..फिर ऋषि वेदव्यास गांधारी को उपदेश देते हैं।
ALSO READ: Mahabharat 10 May Episode 87-88 : जब कर्ण करने ही वाला था अर्जुन का वध, दु:शासन वध
शाम के एपिसोड में गांधारी से मिलने के लिए कुंती के साथ पांचों पांडव उनके कक्ष में जाते हैं। तभी वहां पर विदुर के साथ धृतराष्ट्र पहुंच जाते हैं और वे अपने वन में जाने की बात करते हैं। कुंती भी उनके साथ वन में जाने की बात करती हैं। तब श्रीकृष्ण भी इस बात का समर्थन करते हैं। विदुर भी वन जाने की बात करते हैं। पांचों पांडव यह सुनकर दुखी हो जाते हैं। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि बड़े भैया के राज्याभिषेक तक तो आपको रुकना होगा।
 
फिर युधिष्ठिर का राज्याभिषेक होता है। राज्याभिषेक के समय द्रौपदी उनके साथ रानी बनकर बैठती है। फिर युधिष्ठिर की जय-जयकार होने लगती है। अंत में युधिष्ठिर सभी को प्रणाम करके अपना उद्भोधन देते हैं। अपने उद्भोधन में वह भीष्म, द्रोणाचार्य, दुर्योधन और कर्ण के रिक्त स्थान को प्रणाम करके कहते हैं कि यह स्थान हमेशा रिक्त रहेंगे। विदुर हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री होंगे। भीम युवराज होंगे। अनुज अर्जुन सीमाओं की रक्षा का दायित्व संभालेंगे। प्रिय नकुल और सहदेव मेरे प्रधान अंगरक्षक होंगे। अंत में वे धृतराष्ट्र का चरण स्पर्श करते हैं। 
 
फिर धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती वन में जाने के लिए निकलते हैं तब द्रौपदी और गांधारी के बीच संवाद होता है। गांधारी कहती है जो हुआ उसे भूल जाओ पुत्री और एक नवीन युग का शुभारंभ करो। द्रौपदी सभी को रोकने का प्रयास करती हैं।
ALSO READ: Mahabharat 9 May Episode 85-86 : जब किया श्रीकृष्ण ने चमत्कार, घटोत्कच का बलिदान
उधर, भीष्म पितामह अपनी माता से कहते हैं कि मैं जानता हूं कि अब मेरे जाने का समय आ गया है। तब श्रीकृष्ण के साथ सभी पांडव भीष्म पितामह के पास पहुंचते हैं। भीष्म कहते हैं कि हे वासुदेव मुझे तो तुम्हारे दर्शन करके जीते जी मोक्ष मिल गया है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि यही तो मैं चाहता था पितामह। तब श्रीकृष्ण कहते हैं कि आप युधिष्ठिर को अपनी अंतिम शिक्षा देकर उसे धन्य करें पितामह। भीष्म कहते हैं कि आपके होते मैं शिक्षा देने वाला कौन? तब श्रीकृष्ण कहते हैं मेरे पास ज्ञान है लेकिन आपके पास अनुभव। इन्हें अनुभव देने वाला कोई नहीं हैं पितामह।
 
फिर युधिष्ठि को भीष्म पितामह राजधर्म की, राजनीति आदि की शिक्षा देते हैं। फिर ओम का उच्चारण करते हुए भीष्म पितामह अपना शरीर छोड़ देते हैं। अर्जुन रोने लगता हैं। फिर श्रीकृष्ण खड़े होकर कहते हैं, धन्य है वे आंखें जो नश्वर को अनश्वर होने का दृश्य देख रही है।
 
आसमान से देवतागण भीष्म पितामह के शव पर फूलों की वर्षा करते हैं। महर्षि वेदव्यास का जय काव्य आज समाप्त हुआ। महाभारत आज समाप्त हुई। जय श्रीकृष्णा।
  
बीआर चोपड़ा की महाभारत में जो कहानी नहीं मिलेगी वह स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें... वेबदुनिया महाभारत
 
 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का महत्व, इस दिन क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए?

क्या आप नहीं कर पाते अपने गुस्से पर काबू, ये रत्न धारण करने से मिलेगा चिंता और तनाव से छुटकारा

Solar eclipse 2025:वर्ष 2025 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा और कहां नहीं

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: कैसा रहेगा आज आपका दिन, क्या कहते हैं 26 नवंबर के सितारे?

26 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

2025 predictions: बाबा वेंगा की 3 डराने वाली भविष्यवाणी हो रही है वायरल

26 नवंबर 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

अगला लेख
More