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लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार पर बोले विवेक तनखा, पार्टी को नई लीडरशिप की जरूरत

हमें फॉलो करें लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार पर बोले विवेक तनखा, पार्टी को नई लीडरशिप की जरूरत

विकास सिंह

, सोमवार, 17 जून 2024 (12:49 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूफड़ा साफ होने के बाद कांग्रेस के अंदरखाने की राजनीति गर्मा गई है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व और संगठन के कामकाज को लेकर उठे सवालों के बाद अब प्रदेश कांग्रेस के सीनियर नेता लगातार हार की जिम्मेदारी तय करने और संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की बात कहते नजर आ रहे है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के बाद अब राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव के संकेत दिए है।

रायपुर पहुंचे कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि दोनों राज्यों में करारी हार के बाद संगठन में बड़े बदलाव को लेकर चर्चा की जा रही है। दोनों ही स्टेट में नई लीडरशिप की जरूरत है। कांग्रेस के सीनियर नेता विवेक तन्खा ने कहा कि मध्यप्रदेश औऱ छत्तीसगढ़ दोनों ही राज्यों में पार्टी क्यों हारी इस पर आत्ममंथन की जरूरत है।

विवेक तनखा ने कहा कि कोई भी चुनाव के बाद बाद हर पार्टी में आत्म मंथन किया जाता है। यह मंथन कांग्रेस भी करेगी। इसके बाद निर्णय लिया जाएगा, आगे की रणनीति तय की जाएगी। पार्टी की आगे की रणनीति क्या होगी यह हाईकमान तय करेगा। इसके साथ ही राज्यसभा सांसद विवेक तन्‍खा ने कहा कि हमारा देश युवाओं का देश है। युवा स्‍मार्ट और उत्‍साही हैं। इसके साथ ही वे अच्‍छे प्रोफेशनल्स भी हैं, ऐसे युवाओं को पार्टी से जोड़ना चाहिए।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने वाले जीतू पटवारी अब तक अपनी कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए है। इसके साथ लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के विधायकों, पूर्व सांसदों और
कार्यकर्ताओं के बड़े स्तर पर पार्टी छोड़ने से उनके नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे है। गौरतलब है लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 3 विधायकों ने पार्टी छोड़े दी थी और उनके निशाने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी थे।

इसके साथ बीना विधायक निर्मला सप्रे ने पार्टी छोड़ने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक बयान को जिम्मेदार ठहराया था। इसके साथ  कांग्रेस के 6 बार के विधायक रामनिवास रावत भी पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गए थे। पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से कांग्रेस ने नेतृत्व परिवर्तन हुआ और जीतू पटवारी को पार्टी की कमान सौंपी गई उससे कहीं न कहीं लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं मे नाराजगी नजर आई थी।
 

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