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मध्यप्रदेश में पुलिस भर्ती और MP-TET एग्जाम को लेकर फिर दागदार व्यापमं! नाम बदलने के बाद भी नहीं धुल पा रहे दाग

2013 से 2022 तक सु्र्खियों में रहने वाले व्यापमं घोटाले की पूरी पड़ताल

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विकास सिंह

, मंगलवार, 29 मार्च 2022 (17:05 IST)
मध्यप्रदेश में व्यापमं के नाम से चर्चित प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड एक बार फिर सुर्खियों में है। 2013 से मध्यप्रदेश के साथ पूरे देश और दुनिया में चर्चा में रहने वाला व्यापमं सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा आयोजित करता है। इसी व्यापमं की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा और प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा एक बार फिर विवादों में घिर गई है। 
 
पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर सवाल-व्यापमं से जुड़ा सबसे नया विवाद पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा से जुड़ा है। 6 हजार पदों के लिए हुई लिखित परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद उसमें फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए अभ्यर्थियों ने जमकर हंगामा किया है। प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों ने रिजल्ट में हेराफेरी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ज्यादा नंबर लाने के बाद उनको नॉट क्वालीफाइड बता दिया गया जबकि उसकी कैटेगरी में कम नंबर वालों को क्वालीफाइड बता दिया गया है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में इन दिनों 6 हजार पदों पर पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा चल रही है जिसमें लिखित परीक्षा के रिजल्ट पर परीक्षा में शामिल स्टूडेंट्स ने सवाल उठाने शुरु कर दिए है।
 
वहीं अब इस सरकार ने इस पूरे मामले में जांच के आदेश दे दिए है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट सिर्फ एक बार ही आया है। जो रिजल्ट आया है वह बहुत स्पष्ट है पहले और बाद की बात न करें। अगर किसी ने इस तरह का कूट रचित किया है। यह कूट रचित ही होगा क्योंकि रिजल्ट एक बार जारी हुआ है। इस विषय में बच्चे मुझसे भी बच्चे मिले थे। मैंने उसी समय कर्मचारी चयन बोर्ड के सबसे बड़े अधिकारी से बात की थी और मैप आईटी के सहयोग से जांच के आदेश दे दिए गए है।
 
प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा पर भी सवाल- वहीं व्यापमं से जुड़ा दूसरा विवाद प्राथमिक शिक्षक भर्ती वर्ग-3  को लेकर है। परीक्षा का पेपर का स्क्रीन शॉट सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरी परीक्षा पर सवाल उठ रहे है। एमपी प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ने प्राथमिक शिक्षक पात्रता (वर्ग-3) का परीक्षा आयोजित की थी जिसमें प्रदेश भर से करीब करीब नौ लाख 37 हजार उम्मीदवार शामिल हुए थे। पिछले दिनों 25 मार्च का एक प्रशनपत्र का कम्प्यूटर स्क्रीन का स्क्रीन शाट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। 
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क्यों कठघरे में व्यापमं?-इसे पूरे मामले व्यापमं फिर विवादों में आ गया है और उसकी कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे है। ऑनलाइन परीक्षा का ठेका बंगलुरु की एजुक्विटी कैरियर टेक्नोलॉजी को दिया गया था ऐसे में पेपर के स्क्रीन शॉट वायरल होने पर विवाद हो गया है। सवाल इस बात को लेकर है कि परीक्षा केंन्द्रों पर मोबाइल ले जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित था और परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगे हुए थे तब पेपर के स्क्रीन शॉट कैसे सोशल मीडिया पर वायरल हुए।
 
ऐसे में परीक्षा का आयोजन कराने वाली कंपनी विवादों में आ गई है और आरोप है कि कंपनी के कर्मचारियों द्वारा पेपर लिक किया गया है। वही पीईबी के चेयरमैन आइसीपी केशरी ने कहा कि पूरे मामले की पूर्ण जांच की जा रही है। 
 
क्या है व्यापमं का घोटाला कनेक्शन?- व्यापमं पहली बार 2013 में उस वक्त सुर्खियों में आया था जब मेडिकल प्रवेश परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हुआ और पुलिस ने इंदौर से रमाशंकर नाम के शख्स को गिरफ्तार किया जो ऋषिकेश त्यागी नाम के स्टूडेंट की जगह पेपर देने आया था। इसके बदले उसे अच्छी रकम मिली थी। मेडिकल प्रवेश परीक्षा में करीब तीन दर्जन परीक्षार्थी पकड़ाए गए। इन नकली परीक्षार्थियों से जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो एक बड़ा घोटाला सामने आया। जिसमें इंदौर के डॉक्टर जगदीश सागर, व्यापमं के सिस्टम एनालिस्ट नितिन मोहिंद्रा की मिलीभगत का पता चलता। डॉ. सागर नितिन मंहिद्रा की मदद से परीक्षार्थियों के रोल नंबर एक क्रम में लगवाता और इसके बदले अच्छी रकम लेता था। पुलिस के अनुसार 2009 से 2013 के दौरान मोहिंद्रा ने सागर के दिए 737 मेडिकल परीक्षार्थियों के रोल नंबर बदले थे।  

व्यापमं घोटाला में लगातार खुलासे होने के बाद अगस्त 2013 में शिवराज सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन कर दिया। उधर घोटाला की जांच शुरु होते हुए इससे जुड़े लोगों की संदिग्ध मौतों से पूरे मामलो को सुर्खियें में ला दिया। व्यापमं मामले से जुड़े व्हिसिल ब्लोअर के मुताबिक इस पूरे घोटाले में 46 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होगई जिसमें डॉक्टर,  मेडिकल छात्र, पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। व्यापमं घोटला में मरने वालों में एक नाम नम्रता डोमर का भी था जिसकी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की घटना को कवर आए दिल्ली के पत्रकार की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद शिवराज सरकार ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की। 
 
व्यापमं घोटाले में सरकारी पदों पर बैठे कई अधिकारियों और कई मेडिकल कॉलेज संचालकों की गिरफ्तारी के साथ तत्कालीन शिक्षा मंत्री की गिरफ्तारी से शिवराज सरकार की खूब किरकिरी हुई। शिवराज कैबिनेट में मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा की गिरफ्तारी और जेल भेजे जाने के बाद पूरी भाजपा बैकफुट पर आ गई थी और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने व्यापमं घोटाले को बड़ा मुद्दा बनाया था। 
 
नाम बदलकर दाग धोने की कोशिश-व्यापमं के दाग धोने के लिए शिवराज सरकार ने इसका नाम कई बार बदला है। 2015 को व्यापम का नाम बदल कर प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड कर दिया गया। वहीं इसी साल फरवरी में शिवराज सरकार ने व्यापमं का नाम बदलकर कर्मचारी चयन बोर्ड कर दिया है। इसके साथ कर्मचारी चयन बोर्ड सामान्य प्रशासन विभाग के तहत काम करेगा।
 
 

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