Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

शिवरात्रि पर श्मशान के सन्नाटे में बुदबुदाते होंठ...

हमें फॉलो करें शिवरात्रि पर श्मशान के सन्नाटे में बुदबुदाते होंठ...

जीतेन्द्र वर्मा

होशंगाबाद। शिवरात्री पर रात्रि का तीसरा पहर शुरू होते ही नर्मदा किनारे अघोरी, कपालिक और तंत्र मंत्र के महापंडितों के बुदबुदाते होंठ से निकलती मंत्रों की आवाज श्मशान के सन्नाटे में सिहरन पैदा कर देती है।
 
मान्यता के अनुसार देशभर में कही भी अघोर साधना या कपालिक तंत्र, मसान विधा में सिद्धि हासिल करने वाले तांत्रिक शिवरात्रि की रात को नर्मदा किनारे के श्मशान में पापोद्धार और साधना का उत्कीलन करने यहां पहुंचते हैं। भोग विलास से दूर की दुनिया के इन संतों के कर्मकांड आमजन से भिन्न है।
 
शहर के भीलपुरा और रामघाट पर आज रात तांत्रिकों की चहलकदमी रहेगी। बनारस के मणिकर्णिका और अन्य शमशान में महीनों साधना कर सिद्धि हासिल करने वाले तांत्रिक अघोरी यहां चुपचाप अपनी आमद देते हैं।
 
आचार्य सोमेश परसाई ने बताया की अघोर तंत्र संसार में नर्मदा किनारे के श्मशान का अलग महत्व है। तांत्रिक जबतक नर्मदा किनारे आकर अपने पापो का उद्धार नहीं करता वह सिद्धि उसके काम की नहीं रहती है। इसलिए अघोर पंथ के अनुयायी शिवरात्रि पर श्मशान में पहुंचते हैं। 
 
एक डुबकी के साथ होती मंत्र पूजा : बताया जाता है की शिवरात्रि की रात को श्मशान किनारे माँ नर्मदा में एक डुबकी लगाकर मंत्र पूजा के साथ तांत्रिकों का पापोद्धार होता है। भस्म रमाये ये जानकार सूर्योदय तक शिव भक्ति में लीन रहते हैं। 
 
नमक चमक विधि से होता अभिषेक : शमशान भूमि पर रेत (बालू) से शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। भगवान् का आव्हान कर पंचामृत स्नान के साथ शुरू होता है नामक चमक से रुद्राभिषेक। इसमें भगवन शिव की रुद्री पाठ के पंचम अध्याय तक क्रम से पांच बार पाठ किया जाता है। इस तरह रुद्री से सम्पूर्ण अभिषेक होता है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भाजपा नेता की सलाह, फसल बचाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें...