भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल में कर्मचारी संगठनों के भारी दबाव के बाद भी शिवराज सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने से इंकार कर दिया है। आज विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा के सवाल पर वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने पुरानी पेंशन लागू करने के किसी भी प्रस्ताव से साफ इंकार कर दिया है। वहीं नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने जब वित्तमंत्री से पूछा कि क्या ओल्ड पेंशन स्कीम को सप्लीमेंट्री बजट में लाएंगे तो वित्त मंत्री ने उससे भी इंकार कर दिया।
वहीं विधानसभा में सरकार के इंकार करने के बाद अब कांग्रेस इस पूरे मुद्दें पर मुखर हो गई है। विधानसभा परिसर में मीडिया से बात करते हुए पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि सदन में ओल्ड पेंशन स्कीम के बारे में पूछा तो वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह जवाब प्रदेश के कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय है, कर्मचारियों की बहुत बहुत साधारण मांग है कि पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए। कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाएगी। वहीं आज सरकार ने सदन में स्पष्ट कर दिया कि ओल्ड पेंशन स्कीम का कोई प्रस्ताव नहीं है।
दरअसल मध्यप्रदेश में चुनावी साल में कर्मचारी संगठनों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए सरकार पर लगातार दबाव बनारही है। पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर पिछले दिनों राजधानी भोपाल में कर्मचारी संगठनों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था और सरकार को अल्टीमेटम दिया था।
भाजपा शासित कर्नाटक में समिति को हो चुका गठन- मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने से भले भाजपा सरकार साफ इंकार कर रही है लेकिन भाजपा शासित चुनावी राज्य कर्नाटक में सरकार कर्मचारियों की मांग के आगे झुकते हुए सरकार ने एक समिति का गठन किया है जिसकी रिपोर्ट के आधार पर पुरानी पेशन योजना की बहाली का निर्णय लिया जाएगा। समीति राज्य में चुनाव के ऐलान के ठीक पहले अप्रैल के अंत तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। तीन सदस्यीय समीति कांग्रेस शासित राज्यों जिन्होंने अपने राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू कर ली है वहां का दौरा कर पुरानी पेंशन योजना कैसे लागू की जाए इस पर अपनी रिपोर्ट देगी।