देश एक छोटी सी यूनिट है, राष्ट्र इससे बड़ा है। देश को सरकार चलाती है, लेकिन राष्ट्र को हमारा समाज बनाता है और संचालित करता है। इसलिए कभी अगड़ा, पिछड़ा, जाट, पटेल, गुर्जर, राजपूत और ब्राह्मण से ऊपर उठकर राष्ट्र के निर्माण में भागीदारी हो, जाति बनकर वोट मत दीजिए, जाति से ऊपर उठकर एक बार सनातनी बनकर वोट दीजिए।
यह बात रविवार को इंदौर के अभय प्रशाल खेल परिसर में वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रवादी वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कही। वे यहां आयोजित राष्ट्र चिंतन- समस्याएं और समाधान कार्यक्रम में इंदौर के नागरिकों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, एक बार सनातन बनकर वोट दीजिए। यह मौका 5 साल में एक बार मिलता है। सरकार सिर्फ देश चलाती है, लेकिन हम पूरा समाज राष्ट्र को संचालित करते हैं। देश से बड़ा है राष्ट्र। इसलिए एकजुट होकर सामाजिक शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए।
अगर सरकार अपने वादे पर खरा नहीं उतरती है तो इस सामूहिक शक्ति से उस पर दबाव बनाना चाहिए। अपने राष्ट्र का गौरव और स्वाभिमान बचाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने में कोई बुराई नहीं है।
उन्होंने कहा, गलत इतिहास की मदद से हमारे भीतर इतनी कुंठा ठूंस दी गई है कि हमें अब यकीन नहीं होता कि हम सनातनी और गौरवशाली परंपरा का हिस्सा रहे हैं।
उन्होंने प्रधानमंद्धी नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर कहा, बहुत सालों के बाद आपने एक व्यक्ति को सत्ता में बैठाया और आप चाहते हैं कि सबकुछ एक दिन में ठीक हो जाए, सरकार को अपना काम करने के लिए समय भी दीजिए।
हम अपने ही आदमी में कमियां और खामियां ढूंढने की कोशिश करते हैं। लेकिन हमने उन्हें चुना है तो उन्हें काम करने का मौका भी तो दो। अगर वे गलत रास्ते पर जाएं तो उन पर दबाव भी बनाएं।
सरकार के खिलाफ समय-समय पर विरोध दर्ज कराने वाले लोगों पर तंज कसते हुए कुलश्रेष्ठ ने कहा, जिन लोगों को अवॉर्ड वापस करने का बहुत शौक था, अब उनके पास अवॉर्ड ही नहीं बचे हैं वापस करने के लिए।
महात्मा गांधी की गोडसे द्वारा हत्या करने के विषय में वे कहते हैं कि यह बात सही है कि और मैं मानता हूं कि नाथुराम गोडसे ने ग़ांधी की हत्या की, यह एक तथ्य है, इसे झुठलाया नहीं जा सकता, इसके लिए गोडसे को सज़ा मिली, उसे फांसी दी गई, लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि गांधी को गोडसे ने मारा ही क्यों?
उन्होंने कहा कि गोडसे गांधी जी का सबसे बड़ा भक्त था, गांधी जी उसके लिए भगवान थे, लेकिन देश के बंटवारे से वो टूट गया।
कुलश्रेष्ठ ने कहा कि चुपचाप अपनी संस्कृति के लिए काम कीजिए, इसके लिए किसी का धर्म बदलने की जरूरत नहीं, किसी को मारने की जरूरत नहीं। लेकिन जागरूक हो जाइए, अपनी सनातनी ताक़त को पहचानिए। निजी स्वार्थ और कुंठा से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए काम कीजिए।