इंदौर। पितरेश्वर हनुमान धाम की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही यह स्थान पूरे देश में चर्चित हो गया है। यहां पर 28 फरवरी को पूरे विधि-विधान के साथ अष्टधातु की दुनिया की सबसे बड़ी हनुमानजी की मूर्ति स्थापित हुई है। पितरेश्वर हनुमान धाम के आसपास का इलाका पहले ही धार्मिक है और आने वाले समय में यह स्थान पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करेगा।
कोई 45 साल पहले इंदौर का एयरपोर्ट बहुत छोटा हुआ करता था। एयरपोर्ट से ही सटे प्राचीन बिजासन माता के मंदिर की पताका सड़क से ही नजर आती थी। पूरे शहर के लिए सिद्ध बिजासन माता का मंदिर हमेशा से ही धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। साल में 2 बार आने वाली नवरात्रियों के दिनों में सड़क पर पैर रखने की जगह तक नहीं होती है।
बिजासन माता के मंदिर में आज भी कई लोग मन्नत मांगते हैं और ऐसी मान्यता है कि उनकी मन्नत पूरी होती है। बरसों पहले जब इंदौर में केवल दशहरा मैदान पर ही रावण दहन होता था, तब दहन के बाद लोग बिजासन मंदिर में माता के दर्शन के लिए जाते थे और लौटते वक्त यहीं से सोना पत्ती लेते थे।
बिजासन माता मंदिर के समीप ही जैन समाज का बहुत बड़ा मंदिर 'ह्रींकारगिरि तीर्थ' है। यहां पर दूर-दूर से लोग आते हैं। इसके अलावा 'गोम्मटगिरि' भी है। यह स्थान दिगंबर जैन समुदाय का है, जो काफी विशाल है।
यहां पर बहुत बड़ी मूर्ति है, जिसका शुभारंभ करने राष्ट्रपति आए थे। गोम्मटगिरी की पहाड़ी पर ही बाएं हाथ पर कालका माता मंदिर व कम्प्यूटर बाबा का आश्रम है। कम्प्यूटर बाबा को राज्यमंत्री का दर्जा भी हासिल है।
पितरेश्वर हनुमान धाम के बांयी तरफ एक प्रसिद्ध विपश्यना केंद्र भी है, जहां देश के कई हिस्सों लोग विपश्यना शिविर में हिस्सा लेकर आत्मशुद्धि करते हैं। यहां पर साप्ताहिक, 15 दिन और मासिक शिविरों का आयोजन होता है।
एरोड्रम रोड की पहचान किसी समय अखंड धाम से होती थी। यह काफी प्राचीन था, जहां 24 घंटे सीता राम और रामायण का पाठ हुआ करता था। इसके बाद बीएसएफ के ठीक सामने विद्याधाम बना। यहां भी काफी चहल पहल हमेशा बनी रहती है। यही नहीं, प्रवचन और धार्मिक आयोजन यहां होते रहते हैं। इसके अलावा इस इलाके में दास बगीची, शंकर सुगंधी बगीची काफी प्रसिद्ध हैं।
यूं देखा जाए तो पितरेश्वर हनुमान धाम जाने की शुरुआत बड़ा गणपति से होती है। यहां से पितरेश्वर हनुमान धाम की दूरी करीब 7 किलोमीटर है। बड़ा गणपति पर शहर के सबसे बड़े गणेश भगवान की मूर्ति है।
यहां भी गणेश चतूर्थी पर मेला-सा लगा रहता है। कुल मिलाकर 7-8 किलोमीटर का यह पूरा इलाका आस्था और विश्वास के सबसे बड़े केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है।