भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं के दल-बदल का सिलसिला तेज हो गया है। वहीं चुनाव से पहले भाजपा ने बड़ा फैसला कि पार्टी में अब नेताओं के पैराशूट लैंडिग नहीं होगी। मंगलवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में निर्णय लिया गया कि अब अन्य दल के नेताओं की एंट्री से पहले स्थानीय स्तर नेताओं की सहमति ली जाएगी। जिससे पुराने कार्यकर्ता नाराज नहीं हो।
चुनाव को देखते हुए भाजपा की बनाई गई ज्वाइनिंग कमेटी के अध्यक्ष नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि भाजपा से जुड़ने और पार्टी में आने के लिए कई लोग उत्सुक है। इसलिए स्वाभविक रूप से यह विचार आता है कि पुराने कार्यकर्ताओं का मान नहीं घटे।
वहीं प्रदेश भाजापा कार्यालय में हुई बैठक में तय किया गया कि नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी में एंट्री की हरी झंडी देने से पहले उनके बैकग्राउंड की स्क्रीनिंग की जाएगी। आपराधिक और खराब छवि वाले नेताओं को एंट्री नहीं दी जाएगी। बैठक में शामिल रहे कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा आपराधियों की भाजपा में कोई जगह नहीं है।
नई और पुरानी भाजपा में सीधा टकराव-2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में एंट्री के बाद मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग और बुंदेलखंड संभाग में पार्टी दो खेमों में बंट गई है। एक खेमा भाजपा के पुराने नेताओं का है और दूसरा खेमा पार्टी में सिंधिया के साथ एंट्री करने वाले कांग्रेस नेताओं का। पिछले दिनों जिस तरह बुंदेलखंड संभाग में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और मंत्री भूपेंद्र सिंह और उनके समर्थक आमने सामने आए उसे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। ठीक इसी तरह ग्वालियर-चंबल संभाग में भी कई विधानसभा सीटों पर चुनाव से ठीक पहले भाजपा के पुराने नेताओं और सिंधिया समर्थक नेताओं ने दावेदारी ठोंक दी है।