भोपाल। मध्यप्रदेश में नवरात्रि पर होने वाले गरबा के आयोजनों में इस बार बिना आईडी कार्ड (पहचान पत्र) दिखाए एंट्री नहीं मिलेगी। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि गरबा के आयोजन में कोई अप्रिय स्थिति नहीं बने, इसके लिए पहचान पत्र जरूरी किया गया है। गरबा के आयोजकों को देखना होगा कि पहचान पत्र के बिना कोई एंट्री नहीं करे।
इससे पहले प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा था कि गरबा पंडाल लव जिहाद का माध्यम बन गए थे, जिनमें प्रवेश के लिए अब परिचय पत्र दिखाना होगा। वहीं भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने गरबा में एंट्री के लिए पहचान पत्र अनिवार्य करने की मांग की थी। वहीं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा था कि जो लोग जय माताजी नहीं बोलते, जय कारे नहीं लगाते उन्हें गरबा में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
इधर राजधानी भोपाल में कलेक्टर अविनाश लवनिया ने गरबा आयोजको को बिना आईडी (पहचान पत्र) के प्रवेश नहीं देने का निर्देश दिया है। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि गरबा में शामिल होने के लिए पहचान पत्र आवश्यक रूप से लाना होगा। साथ ही नियमों का उलंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी।
दरअसल नवरात्र पर बड़े स्तर पर गरबा का आयोजन हर साल होता रहा है। दो साल कोरोना के चलते बड़े पैमाने पर आयोजन नहीं हुए थे वहीं इस बार भोपाल, इंदौर समेत प्रदेश के कई जिलों में गरबा का आयोजन किया जा रहा है। वहीं इस पूरे मुद्दें पर सियासत भी शुरु हो गई है। भाजपा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पहचान पत्र दिखाने का निर्णय अच्छा फैसला है। गरबा एक सार्वजनिक कार्यक्रम है और यहां सामाजिक ताना-बाना ना बिगड़े इसलिए ये फैसला लिया गया है।
वहीं कांग्रेस ने पहचान पत्र अनिवार्य किए जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा चुनाव के समय धार्मिक तमाशे करती है। 46 नगरीय निकाय चुनाव में शिवराज सरकार की सियासी जमीन खिसक चुकी है। चुनाव में सियासी जमीन बचाने के लिए भाजपा ने अब धार्मिक मुद्दा उठाया है।