सरकारी स्कूल कैसे करेंगे कोरोना गाइडलाइंस का पालन,पालक महासंघ का सवाल,पैरेंट्स की लिखित सहमति से सरकार की नीयत पर उठ रहे सवाल

पैरेंट्स के सहमति के एफिडेविट देने को अनिवार्य कर सरकार अपनी जिम्मेदारी से बचना चाह रही : पालक महासंघ

विकास सिंह
सोमवार, 14 सितम्बर 2020 (12:40 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोनाकाल में 21 सितंबर से स्कूलों को फिर से खोले जाने के सरकार के फैसले के बाद अब मध्यप्रदेश पालक संघ विरोध में उतर आया है। पालक संघ सरकार के इस फैसले के विरोध में हाईकोर्ट जाने और बंद की रणनीति तैयार करने में जुट गया है।
 
मध्यप्रदेश पालक महासंघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने 'वेबदुनिया' से बातचीत में कोरोनाकाल में स्कूल खोले जाने का विरोध करते हुए कहा कि स्कूल आने के लिए माता-पिता की लिखित सहमति का पत्र की अनिवार्यता कर, स्कूल,सरकार और स्वास्थ्य विभाग एक तरह से अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती है।
 
सरकार ने एसओपी जारी कर सरकारी अपनी जिम्मेदारी अभिभावकों और बच्चों पर डालना चाह रही है।वह सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अगर बच्चों को कुछ भी होता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। सरकार स्कूल ऐसे समय खोलने जा रही है जब कोरोनावायरस का संक्रमण अपने चरम की ओर जा रहा है। ऐसे कोई अभिभावक कैसे अपने बच्चों को स्कूल भेज सकता है। 
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स्कूल खोले जाने को लेकर जारी एसओपी में साफ सफाई की बात पर सवाल उठाते हुए पालक महासंघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा कहते हैं कि आज जब प्रदेश के अधिकांश सरकारी स्कूल साफ टॉयलेट और पीने के पानी की बुनियादी समस्या से जूझ रहे है तब इन स्कूलों में कैसे कोरोना को लेकर हाईजीन की गाइडलाइन का पालन हो सकेगा। 
 
इसके साथ ही स्कूलों को खोलने को लेकर जो एसओपी जारी हुई है उसके 6 फीट की दूरी बनाने की बात कही गई है क्या प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में इतनी बड़ी क्लास है जहां बच्चों को एक साथ बैठाया जा सके। 
 
मध्यप्रदेश पालक महासंघ ने सरकार से मांग की है कि जब कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और अब जबकि स्कूलों का करीब आधा सत्र कोरोना के कारण निकल चुका है तब पूरे सत्र को शून्य घोषित कर बच्चों की जिंदगी और उनके स्वास्थ्य से कोई खिलवाड़ नहीं किया जाए।  
 
स्कूलों की रि-ओपनिंग की गाइडलाइंस -
1-स्कूलों में जहां तक संभव हो कम से कम 6 फीट की शारीरिक दूरी (फिजिकल डिस्टेंसिंग) का पालन किया जाना चाहिए।
2-स्कूल छोड़ते समय और अपने खाली समय में स्टूडेंट इक्ट्ठा न हो। 
3-फेस कवर का उपयोग अनिवार्य किया जाए।
4- हाथ गंदे दिखाई ना दें तब भी साबुन से कई बार बार हाथों को कम से कम 40 से 60 सेकंड तक धोए।
5-यदि कोई स्टूडेंट शिक्षक या कर्मचारी बीमार हो तो वह स्कूल ना आए और सरकार के तय किए गए प्रोटोकॉल का पालन करें। 
6- हाथ धोने के लिए अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का उपयोग किया जा सकता है।
7-स्कूल परिसर में कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो परिसर को डिसइन्फेक्शन प्राथमिकता से किया जाए।
8- क्लास 9 वीं से 12 वीं तक के स्टूडेंट को स्कूल आने की अनुमति तभी होगी जब परिवार इसकी लिखित सहमति देंगे।
9-डिप्रेशन जैसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों वाले विद्यार्थियों और शिक्षकों के  लिए नियमित परामर्श की व्यवस्था की जाए। 
10-स्टूडेंट्स की भावनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शिक्षक,स्कूल,काउंसलर और स्कूल स्वास्थ्य कार्यकर्ता एकजुट होकर काम करें। 

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