मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच भाजपा ने 91 उम्मीदवारों के नाम पर सहमति की मुहर लगा दी है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि बहुत से विधायकों और कुछ मंत्रियों के टिकट अंतिम समय में कट भी सकते हैं। हालांकि यह जानकारी अभी अधिकृत नहीं है।
सूत्रों की मानें तो भाजपा ने अपने 91 वर्तमान विधायकों को फिर से चुनाव मैदान में उतारने की हरी झंडी दे दी है और उन्हें पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुट जाने की सलाह भी दी है। हालांकि यह स्थिति विपक्षी कांग्रेस के लिए परेशानी वाली हो सकती है क्योंकि कांग्रेस अभी बसपा और सपा के साथ गठबंधन की संभावनाओं को ही टटोल रही है। ऐसे में भाजपा के इस दांव ने सत्तारूढ़ दल को बढ़त में ला दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री आवास पर हाल ही में हुई एक गुप्त बैठक में इन नामों को हरी झंडी दी गई है। इस बैठक मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के अलावा संगठन मंत्री सुहास भगत व प्रदेश अध्यक्ष राकेशसिंह भी शामिल थे। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा और आरएसएस द्वारा किए गए एक विभिन्न सर्वे के आधार पर इन 91 नामों को हरी झंडी दी गई है।
पार्टी ने इन सभी उम्मीदवारों को आरएसएस नेताओं के साथ मिलकर कार्य करने का भी आदेश दिया गया है। माना जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देशानुसार प्रत्याशियों की चयन प्रक्रिया में आरएसएस और उसके अनुषंगी संगठनों को विशेष तरजीह दी जा रही है।
दूसरी ओर भाजपा ने यह संकेत भी दिया है कि वर्तमान में कुछ मंत्रियों और विधायकों के टिकट कट भी सकते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर 70 पार के नेताओं पर पड़ने की पूरी-पूरी संभावना है। माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, सरताजसिंह, कुसुम मेहदले आदि बुजुर्ग नेताओं को या तो आराम की सलाह दी जा सकती है या फिर उन्हें संगठन में भी सम्मानित पद दिए जा सकते हैं।
ऐसा भी माना जा रहा है कि पार्टी उन विधायकों और मंत्रियों को भी आगामी विधानसभा चुनाव में नहीं दोहराएगी, जिनके जीतने की संभावना बिलकुल नहीं है। इन स्थानों पर नए चेहरों पर दांव लगाया जा सकता है। क्योंकि उपचुनावों में शिकस्त झेल चुकी पार्टी मुख्य चुनाव के लिए काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।