मध्यप्रदेश के प्रख्यात पर्यटन स्थल और विश्वप्रसिद्ध खजुराहो के मंदिरों की दुर्दशा पर भारतीय पुरातत्व के अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं जा रहा है। सरकार की लापरवाही के चलते 10वीं सदी के ये प्राचीन मंदिर अब धीरे-धीरे जीर्णशीर्ण होते जा रहे हैं।
विश्वप्रसिद्ध खजुराहो के इस मतंगेश्वर महादेव मंदिर परिसर में पड़े कचरे को उठाने की बजाय उसे नष्ट करने के लिए उसमें आग लगा दी जाती है, जबकि मंदिरों के रखरखाव और सुन्दर बनाए रखने के लिए सरकार करोड़ों रुपए हर वर्ष खर्च करती है।
मंदिर परिसर के आसपास से भी पेट्रोल डीजल वाहन तक निकलने नहीं दिए जाते और इसके बाद भी परिसर में हो रहा धुंआ डायरेक्ट नुकसान पहुंचा रहा है। इस तरह के हो रहे धुंए और प्रदूषण से दुर्लभ प्राचीन मंदिरों को ख़तरा पैदा हो गया है।
तस्वीरों में साफ़ देखा जा सकता है कि किस तरह मतंगेश्वर महादेव मंदिर से सटा हुआ प्राचीन प्रतिमाओं का संग्रहालय भी है। जहां पर विश्व और देश की धरोहर रखी हुई हैं। घटनास्थल से कुछ कदम दूरी पर भारतीय पुरातत्व विभाग का सर्कल कार्यालय भी है बावजूद इसके जिम्मेदार और सम्बंधित अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं।
मंदिर में सुरक्षाकर्मी तैनात तो हैं पर सिर्फ कागजों में अधिकतर ड्यूटी और मुस्तैदी से नदारद रहते हैं। सेन्ट्रल गवर्मेंट का उपक्रम होने की वजह से खजुराहो के लोगों को पुरातत्व विभाग की ज्यादा जानकारी न हो पाने के कारण यह विभाग लापरवाहियों और मनमानी पर उतारू है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो खजुराहो पुरातत्व विभाग भगवान भरोसे चल रहा है। जानकार लोग, श्रद्धालु और मंदिरों में आने-जाने वाले देशी-विदेशी पर्यटक मंदिरों की दुर्दशा और सुरक्षा पर उंगलियां उठाकर कई सवाल खड़े करते हैं।