इंदौर। अभियोजन पक्ष को शुक्रवार को तगड़ा झटका लगा, जब वर्ष 2015 के बहुचर्चित कविता रैना हत्याकांड में गिरफ्तार बुटीक संचालक को जिला अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए तमाम आरोपों से बरी कर दिया। दिल दहला देने वाली जघन्य वारदात की शिकार 30 वर्षीय विवाहिता का शव 6 टुकड़ों में मिला था।
विशेष न्यायाधीश बीके द्विवेदी ने महेश बैरागी (35) को भारतीय दंड सहिता की धारा 302 (हत्या) और धारा 201 (वारदात के सबूत मिटाना) के तहत अभियोजन के लगाए गए आरोपों से मुक्त कर दिया।
अदालत ने 75 पेजों के विस्तृत फैसले में कहा कि दोनों पक्षों की ओर से पेश साक्ष्य की विवेचना के आधार पर अदालत का मत है कि अभियोजन कविता रैना की हत्या और इस संबंध में सबूत मिटाने के आरोपों को बैरागी के खिलाफ युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित कर पाने में सफल नहीं रहा है इसलिए उसे संदेह का लाभ देते हुए इन आरोपों से मुक्त किया जाता है। फैसले में यह महत्वपूर्ण उल्लेख भी है कि अभियोजन विवाहिता की हत्या की वारदात के किसी चश्मदीद गवाह को अदालत के सामने पेश नहीं कर सका और पूरा मामला परिस्थितिजन्य सबूतों पर आधारित है।
पुलिस के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए कविता रैना हत्याकांड में बैरागी को 9 दिसंबर 2015 को गिरफ्तार किया गया था। तब पुलिस ने इस बुटीक संचालक पर आरोप लगाया था कि 24 अगस्त 2015 को दुष्कर्म में नाकाम रहने के बाद उसने लोहे के पाइप से विवाहिता के सिर पर वार कर पहले उसे अचेत किया था, फिर चाकू से उसके शरीर के 6 टुकड़े कर दिए थे।
पुलिस ने बैरागी पर आरोप लगाया था कि उसने कविता के शव के टुकड़ों को पॉलिथीन के बैग में भरा और इस बोरे को तीन इमली चौराहे के पास पुल के नीचे नाले में फेंक दिया था। पुलिस को विवाहिता के शव के अवशेष वारदात के 2 दिन बाद मिले थे। (भाषा)