मध्यप्रदेश में भाजपा ने लगातार चौथी बार सरकार बनाने के लिए कमर कस ली थी। पार्टी बहुत आत्मविश्वास के साथ चुनाव लड़ रही थी हालांकि पार्टी ने एक बड़ी चूक कर दी और उसके हाथ से सत्ता की चाभी फिसल गई।
दरअसल भाजपा ने कांग्रेस का सामना करने के लिए सोशल मीडिया पर भी बड़ा अभियान चलाया। हालांकि पार्टी ने यहां एक बड़ी गलती कर दी। राज्य में पार्टी ने 'माफ करो महाराज' कैंपेन चलाया। इसके माध्यम से ज्योतिरादित्य पर जमकर निशाना साधा लेकिन कमलनाथ छूट गए। पार्टी को यह गलती भारी पड़ गई।
दूसरी और लोगों ने कांग्रेस के 'वक्त है बदलाव का' स्लोगन को खासा पसंद किया। कमलनाथ ने भाजपा का सामना करने के लिए दिग्विजय और ज्योतिरादित्य के साथ मिलकर एक मजबूत रणनीति तैयार की। इसका भाजपा के पास कोई जवाब नहीं था।
बहरहाल शिवराज से नाराजगी नहीं होने के बाद भी भाजपा के हाथ से मध्यप्रदेश की सत्ता फिसल गई और कांग्रेस ने बहुमत से दो कदम दूर रहने के बाद भी सभी निर्दलियों और सपा तथा बसपा के साथ मिलकर सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की और कमलनाथ मुख्यमंत्री बन गए।