मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सत्ता संभालते ही कांग्रेस के वचन-पत्र काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने शपथ लेने के डेढ़ घंटे के भीतर जहां किसानों के कर्जमाफी आदेश पर दस्तखत कर दिए, वहीं राज्य में नौकरियां बढ़ाने के लिए निवेशकों को सशर्त सुविधाएं देने का ऐलान किया है।
उन्होंने कहा है कि उन्हीं निवेशकों को इंसेंटिव का लाभ मिलेगा जो 70 प्रतिशत रोजगार मध्यप्रदेश के निवासियों को ही देंगे। इसके लिए उन्होंने निवेश प्रोत्साहन योजना में संशोधन की फाइल पर भी दस्तखत किए हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में चार गारमेंट पार्क बनाने का फैसला किया है।
ये गारमेंट पार्क भोपाल के अचारपुरा, इंदौर के संभाग के मोहना (खंडवा), छिंदवाड़ा के लहगडुआ और उज्जैन संभाग के जावरा (रतलाम) में बनाए जाना प्रस्तावित हैं। इनसे भी लोगों को रोजगार मिलेगा। हालांकि पूर्ववर्ती सरकार की गारमेंट पॉलिसी में उल्लेख था कि प्रति व्यक्ति रोजगार देने पर संबंधित कंपनी को सब्सिडी दी जाएगी, लेकिन कितने लोगों को नौकरी दी जाए इसकी कोई शर्त नहीं थी।
इसमें कोई संदेह नहीं कि राज्य के युवाओं को नौकरी देने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ की नीयत ठीक है, लेकिन वास्तविकता के धरातल पर इस आदेश पर कितना अमल होगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा। यह भी देखना होगा कि वे अपनी शर्त के साथ कितने निवेशकों को मध्यप्रदेश में आकर्षित कर पाते हैं।
कमलनाथ सरकार को 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नौकरी देने की शर्त के साथ रोजगार चाहने वाले व्यक्तियों के कौशल विकास पर भी ध्यान देना होगा। यदि कुशल कर्मचारी होंगे तो कोई भी कंपनी उन्हें इंकार ही नहीं कर पाएगी।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने भी 2012 की अपनी आईटी निवेश नीति में 50 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नौकरी देने की बात कही थी। साथ ही परियोजनाओं के क्लियरेंस और सुविधा तंत्र के लिए एकल खिड़की बनाने की बात भी कही गई थी। आईटी नीति के तहत भाजपा सरकार ने कई कंपनियों को सस्ती दरों पर जमीनें दी थीं ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके, लेकिन अब तक उनमें काम शुरू नहीं हो पाया है।
घोषणा के साथ विवाद भी : कमलनाथ की मध्यप्रदेश के 70 फीसदी रोजगार देने की बात पर विवाद भी शुरू हो गया है। दरअसल, उन्होंने कहा था कि अभी उद्योगों में बिहार, उत्तर प्रदेश सहित दूसरे प्रदेशों के लोग आ जाते हैं। उनके इस बयान की काफी आलोचना भी हुई है।