ग्वालियर/ गुना। मध्यप्रदेश के दिग्गज नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके घरेलू राज्य खासकर उनके इलाके के लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के फैसले को कुछ लोगों ने सही बताया और कहा कि उन्हें कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी में दरकिनार किया जा रहा था। यह स्वीकार करना उनके लिए मुश्किल हो रहा था इसलिए वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
ग्वालियर निवासी डॉ. मनोज मिश्रा ने कहा कि पार्टी में सिंधिया की अनदेखी हो रही थी। इससे पार्टी में बने रहना उनके लिए मुश्किल हो गया इसलिए उन्होंने कांग्रेस को छोड़ना ही बेहतर समझा। सिंधिया जैसे शिक्षित एवं अनुभवी नेता के आने से भाजपा को फायदा होगा।
ग्वालियर के राजेन्द्रसिंह कुशवाह ने बताया कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से सिंधिया को कांग्रेस में उपेक्षित किया जा रहा था, उससे उनके फैसले से कोई आश्चर्य नहीं है। कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
एक सरकारी कर्मचारी अनुराग धेनकुला ने कहा, सिंधिया कांग्रेस के अंदर इस हद तक समस्याओं का सामना कर रहे थे कि वे पिछला लोकसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट गुना से हार गए। इस क्षेत्र में सिंधिया परिवार का व्यापक प्रभाव है। उनके इस्तीफे के लिए कांग्रेस की आंतरिक राजनीति जिम्मेदार है लेकिन भाजपा में शामिल होने पर इसे अवसरवाद कहा जाएगा।
भाजपा की राजनीति में बाहरी लोगों को स्वीकार करना कठिन है। ग्वालियर के एक अन्य निवासी और निजी कंपनी के कर्मचारी रवींद्र उपाध्याय का मानना है कि सिंधिया के कारण ही कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में आ सकी है।
उन्होंने कहा कि सिंधिया के कारण कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता में आ सकी, लेकिन उन्हें उनके कद के मुताबिक सम्मान नहीं मिला। यदि वे भाजपा में शामिल होते हैं तो अपनी विचारधारा बदलने में उन्हें कुछ वक्त लग सकता है।
ग्वालियर के एक अन्य निवासी अशेन्द्रसिंह ने सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के निर्णय को सही समय पर सही फैसला बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद वे कांग्रेस में हाशिए पर थे, लेकिन अब यदि वे भाजपा में शामिल होते हैं तो उनके व्यक्तित्व का नया पहलू देखने को मिलेगा। सिंधिया के फैसले पर गुना से भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में वे गुना से चुनाव हार गए थे। जो कि इस क्षेत्र की एक दुर्लभ राजनीतिक घटना मानी जाती है। प्रशांत भार्गव ने कहा कि यह पहली बार है कि जब सिंधिया परिवार एक ही पार्टी में देखा जा रहा है। इससे हम खुश हैं।
एक अन्य निवासी आशीष सिंह ने संदेह व्यक्त किया कि सिंधिया भाजपा में लंबे समय तक रह पाएंगे। किसान शैतान सिंह ने निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, आज भी लोगों का एक बड़ा वर्ग सिंधिया परिवार में अपनी आस्था रखता है।
एक व्यापारी प्रदीप अग्रवाल ने भी भाजपा में सिंधिया के भविष्य को लेकर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह अभी तो अच्छा लग रहा है लेकिन सवाल यह है कि सिंधिया समर्थक क्या भाजपा और संघ की छाया में रह पाएंगे।
मुरैना के माखनसिंह गुर्जर ने कहा कि ग्वालियर और चंबल इलाके में सिंधिया परिवार का खासा वर्चस्व है। इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना ही पड़ेगा। राज्य में कांग्रेस की सरकार जा सकती है, वहीं आगामी चुनाव में इस पूरे क्षेत्र में कांग्रेस का सफाया हो जाएगा।
भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के निवासी लखन लाल ने कहा कि सिंधिया के जाने से कांग्रेस को फर्क तो पड़ेगा, लेकिन कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। नेता की पहचान पार्टी से होती है, पार्टी की नेता से नहीं। अत: अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि सिंधिया के भाजपा में जाने से कांग्रेस को नुकसान होगा।
(वेबदुनिया/ एजेंसियां)