इंदौर। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) में शामिल एक अधिकारी ने शुक्रवार को संकेत दिया कि इस संबंध में मिले कुछ अहम सुरागों के आधार पर पांचों महिला आरोपियों को जल्द ही आमने-सामने बैठाकर उनसे पूछताछ की जाएगी।
एसआईटी की सदस्य और इंदौर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रुचिवर्धन मिश्र ने बताया कि हमें मामले की जांच में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु मिले हैं। उनके आधार पर पांचों महिला आरोपियों से पूछताछ कर साक्ष्य जुटाने की कोशिश करेंगे। जरूरत पड़ने पर आरोपियों का आमना-सामना भी कराया जाएगा ताकि इन बिंदुओं की वास्तविकता को परखी जा सके।
उन्होंने कहा कि हमारी जांच सभी पहलुओं के मद्देनजर व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ रही है और संबंधित लोगों के खिलाफ साक्ष्य जमा करने में स्वाभाविक तौर पर समय लग रहा है। इससे पहले एक स्थानीय अदालत ने गिरोह की 2 महिला आरोपियों की पुलिस हिरासत अवधि बढ़ा दी जबकि 3 अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत से पुलिस हिरासत में भेज दिया।
जिला अभियोजन अधिकारी मोहम्मद अकरम शेख ने बताया कि प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष भट्ट ने एसआईटी की अर्जी मंजूर करते हुए आरती दयाल (29) और मोनिका यादव (19) की पुलिस हिरासत अवधि 1 अक्टूबर तक बढ़ा दी।
अभियोजन पक्ष ने मामले की जांच में एसआईटी को नए सुराग मिलने का हवाला देते हुए अदालत में कहा कि जेल में बंद 3 आरोपियों- श्वेता स्वप्निल जैन (48), श्वेता विजय जैन (39) और बरखा सोनी (34) से पुलिस दोबारा पूछताछ करना चाहती है तथा अदालत ने यह गुहार मंजूर करते हुए तीनों को 30 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।
गौरतलब है कि एसएसपी ने मामले के गिरफ्तार आरोपियों में शामिल मोनिका को मानव तस्करी की शिकार बताते हुए गुरुवार को कहा था कि 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा को हनीट्रैप मामले में आने वाले दिनों में सरकारी गवाह के तौर पर अदालत में पेश किया जाएगा।
जांचकर्ताओं को संदेह है कि हनीट्रैप गिरोह ने मोनिका के अलावा अन्य युवतियों का इस्तेमाल कर राजनेताओं और नौकरशाहों समेत कई रसूखदारों को भी जाल में फंसाया था और इन लोगों से धन उगाही के अलावा अपनी अलग-अलग अनुचित मांगें जबरन मनवाई थीं। गिरोह खुफिया कैमरों से अंतरंग पलों के वीडियो बनाकर अपने शिकार को इस आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर ब्लैकमेल करता था।