इंदौर। बहुचर्चित घटनाक्रम के दौरान पाकिस्तान से वर्ष 2015 में भारत लौटने वाली मूक-बधिर युवती गीता अपना वर चुनने के लिए 15 युवकों से रू-ब-रू होगी। इनमें लेखक, दुकान संचालक, आईटी पेशेवर और रेलवे कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने फेसबुक पर वैवाहिक विज्ञापन देखने के बाद इस युवती के साथ 7 फेरे लेने की इच्छा जताई है।
गीता के लिए योग्य वर खोजने के अभियान से जुड़े सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने बताया कि विदेश मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक इस लड़की को बुधवार को 25 लड़कों के बायोडेटा और तस्वीरें दिखाई गईं। इसके आधार पर उसने इनमें से 15 युवकों से मिलना तय किया। खास बात यह है कि इन 15 युवकों में से 10 लोग सामान्य हैं यानी वे गीता की तरह विशेष जरूरतों वाले नहीं हैं। बहरहाल, गीता के होने वाले पति को उसकी कुछ शर्तें भी पूरी करनी होंगी।
पुरोहित ने बताया कि गीता ने इशारों की जुबान में कहा कि अगर वह किसी सामान्य युवक को अपने पति के रूप में पसंद करती है, तो उसे सांकेतिक भाषा सीखनी होगी ताकि वैवाहिक जीवन के दौरान उन दोनों को संवाद में कोई दिक्कत न हो। इसके साथ ही, उसके भावी पति को उसके माता-पिता की खोज में उसकी मदद करनी होगी। उन्होंने बताया कि प्रशासन उन 15 लोगों को गीता से जल्द ही मिलवाएगा जिनमें इस मूक-बधिर युवती ने अपने विवाह के संबंध में रुचि दिखाई है।
पुरोहित ने बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात के बाद उन्होंने गीता के लिए योग्य वर की तलाश के मकसद से फेसबुक पर 10 अप्रैल को वैवाहिक विज्ञापन पोस्ट किया था। इसके बाद देशभर के लगभग 50 लोगों ने गीता के साथ 7 फेरे लेने की इच्छा जताई थी। विदेश मंत्रालय ने इनमें से 25 लोगों को छांटकर जिला प्रशासन को निर्देशित किया था कि वह इनसे गीता को उसकी इच्छा के मुताबिक मिलवाने का इंतजाम करे ताकि वह अपनी पसंद का वर चुन सके।
गीता, मध्यप्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और नि:शक्त कल्याण विभाग की देखरेख में इंदौर की गैरसरकारी संस्था 'मूक-बधिर संगठन' के गुमाश्ता नगर स्थित आवासीय परिसर में रह रही है। सरकार उसके माता-पिता की खोज में जुटी है। पिछले ढाई साल के दौरान देश के अलग-अलग इलाकों के 10 से ज्यादा परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं। लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का इस मूक-बधिर युवती पर वल्दियत का दावा फिलहाल साबित नहीं हो सका है।
गीता 7-8 साल की उम्र में पाकिस्तानी रेंजर्स को समझौता एक्सप्रेस में लाहौर रेलवे स्टेशन पर मिली थी। गलती से सरहद पार पहुंचने वाली यह मूक-बधिर लड़की भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण 26 अक्टूबर 2015 को स्वदेश लौटी थी। (भाषा)