भोपाल। मध्यप्रदेश के अगामी विधानसभा चुनाव में यदि किसी नेता को कांग्रेस का टिकट चाहिए तो उसे पहले 50 हजार रुपए जमा कराने होंगे। हालांकि यह राशि टिकट की गारंटी नहीं होगी।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के पास फंड की कमी है इसलिए पार्टी ने चुनावी फंड जुटाने के लिए नई जुगत भिड़ाई है। हालांकि इससे पार्टी को एक फायदा यह भी होगा कि अनावश्य दावेदार पीछे हट जाएंगे। दरअसल, पार्टी के पास फंड की कमी का बड़ा कारण यह भी है कि पार्टी लंबे समय से सत्ता से दूर है इसलिए चंदा भी आसानी से नहीं मिल पाता है।
इसलिए अब जो भी नेता टिकट के लिए दावेदारी करेगा उसे आवेदन के साथ 50 हजार रुपए का डिमांड ड्राफ्ट भी जमा कराना होगा। साथ ही टिकट नहीं मिलने की स्थिति में यह राशि वापस नहीं होगी। अर्थात यह राशि फार्टी फंड में जमा हो जाएगी।
आरक्षित वर्ग और महिला उम्मीदवारों के लिए यहां भी राहत देने की बात सामने आ रही है। टिकट के दावेदारों से आवेदन लेने की प्रक्रिया पांच मार्च से शुरू होगी और 15 मार्च तक जारी रहेगी। सामान्य वर्ग के पुरुष दावेदारों को 50 हजार रुपए जमा कराने होंगे जबकि महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को 25 हजार रुपए का ड्राफ्ट जमा कराना होगा।
दरअसल, पार्टी ने इसीलिए यह प्रक्रिया चुनाव से काफी पहले शुरू कर दी है ताकि उम्मीदवार के चयन में भी आसानी हो और चुनाव के लिए फंड में जमा किया जा सके। पार्टी आवेदन इकट्ठा करके क्षेत्रीय आधार पर एक सर्वे भी करेगी ताकि योग्य चुनाव के लिए योग्य उम्मीदवार का चयन किया जा सके। टिकट की दौड़ में पिछड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार को जमा राशि लौटाई नहीं जाएगी।
कांग्रेस महासचिव और मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया का मानना है कि इस संबंध में निर्णय पार्टी कार्यसमिति की बैठक में हुआ है। इससे सही उम्मीदवार ही सामने आएंगे, वहीं भाजपा ने इस मामले में कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कालेधन को सफेद करने का उपाय तो नहीं है?
हालांकि कांग्रेस का यह प्रयास कितना रंग लाएगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन टिकट का दावेदारों में अभी से ही सुगबुगाहट शुरू हो गई है। वे विधानसभा टिकट को लेकर अभी से रणनीति बनाने में जुट गए हैं।