भोपाल। मध्यप्रदेश में ग्वालियर जिले के एक गांव में कुत्ते के काटने से एक भैंस और उसके बछड़े की मौत ने लोगों में दहशत पैदा कर दी जिससे रैबीज का टीका लगवाने के लिए लोग अस्पताल भागे। गुरुवार को भैंस और उसके बछड़े की मौत की खबर फैलते ही गांव के लोग चिंतित हो गए। वे घबरा गए और एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे, क्योंकि उन्होंने मरने वाली भैंस का दूध पी लिया था।
भैंस की मौत की खबर सुनते ही एक के बाद एक लोग रैबीज का टीका लगाने के लिए दौड़ पड़े। बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने से मेडिकल स्टाफ हैरान रह गया और उन्हें पता चला कि एक पागल आवारा कुत्ते के काटने से एक भैंस और उसके बछड़े की मौत हो गई है।
ग्वालियर जिले के डबरा कस्बे में अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर ने कहा कि इससे तब गांव में हड़कंप गया, जब सैकड़ों लोगों को पता चला कि एक धार्मिक समारोह में उन्होंने जो 'रायता' खाया था, वह उसी भैंस के दही से बनाया गया था इसलिए वे टीका लगाने के लिए अस्पताल की ओर दौड़ पड़े।
रिपोर्ट्स के मुताबिक एक ही भैंस का दूध भी कई घरों में पहुंचाया गया। लोग यह जानकर घबरा गए कि जिस कुत्ते ने उन्हें काटा था, वह पागल था। यह खबर फैलते ही लोगों को डर लगने लगा कि कहीं दूध और दही से उन्हें रैबीज न हो जाए।
रैबीज के टीके के सीमित स्टॉक के साथ वहां एकत्र हुए लगभग 1,000 लोगों को चिकित्सा कर्मचारियों को लोगों को समझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। वे सभी खुद को बचाने के लिए टीका लगवाना चाहते थे।
स्थिति बिगड़ने पर ग्वालियर मेडिकल कॉलेज और संक्रामक रोग केंद्र के अधिकारियों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए डबरा क्षेत्र जाना पड़ा। रैबीज इंजेक्शन की उच्च मांग के साथ पीएचसी में रैबीजरोधी स्टॉक भी समाप्त हो गया।
उन्होंने आगे कहा कि लगभग 1,000 लोग एंटीरैबीज डोज लेना चाहते थे, लेकिन उनमें से केवल 1 को ही टीका लग पाया। हालांकि 150 लोग नहीं माने और उन्हें टीका लगाया गया। जिन्हें टीका नहीं लगा, उनमें से कई ने टीकाकरण के लिए निजी अस्पतालों से संपर्क भी किया।