इंदौर। हाईप्रोफाइल आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज को ब्लैकमेल कर उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पुलिस गुरुवार को जिला अदालत में केस डायरी पेश नहीं कर सकी। इसके बाद अदालत ने गवाही का एक दिन पहले ही शुरू हुआ सिलसिला स्थगित कर दिया।
अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार करोरिया ने मुकदमे में जारी गवाही केस डायरी के अभाव में स्थगित कर दी। अभियोजन पक्ष ने मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी के शहर से बाहर होने का हवाला देते हुए केस डायरी पेश करने के लिए अदालत से मोहलत मांगी।
अपर सत्र न्यायाधीश ने यह गुहार मंजूर करते हुए पुलिस को आदेश दिया कि वह 25 नवंबर तक उनके सामने केस डायरी पेश करे। अभियोजन के पहले गवाह के रूप में भय्यू महाराज की महाराष्ट्र निवासी बड़ी बहन मधुमती पाटिल के बयान दर्ज किए जाने का सिलसिला कल बुधवार को शुरू हुआ था।
यह गुरुवार को भी जारी रहना था। इसके अलावा भय्यू महाराज की छोटी बहन अनुराधा की गवाही भी गुरुवार को होनी थी। मामले की सुनवाई की पिछली तारीख पर भी बचाव पक्ष के वकीलों ने गुजारिश की थी कि अदालत पुलिस से केस डायरी तलब करे।
भय्यू महाराज (50) ने यहां अपने बायपास रोड स्थित बंगले में 12 जून 2018 को उनकी लायसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने भय्यू महाराज की खुदकुशी के 7 महीने बाद इस साल जनवरी में उनके खास सेवादार विनायक दुधाड़े (43) के साथ आध्यात्मिक गुरु की निजी सचिव के रूप में काम कर चुकी युवती पलक पुराणिक (25) और उनके एक अन्य सहयोगी शरद देशमुख (34) को गिरफ्तार किया था।
पुलिस के मुताबिक भय्यू महाराज के नजदीक रही युवती आपत्तिजनक चैट और अन्य निजी वस्तुओं के बूते उन पर शादी के लिए कथित रूप से दबाव बना रही थी, जबकि अधेड़ उम्र के आध्यात्मिक गुरु पहले से शादीशुदा थे। भय्यू महाराज के 2 विश्वस्त सहयोगियों-दुधाड़े और देशमुख पर आरोप है कि वे उन्हें ब्लैकमेल करने की साजिश में शुरुआत से शामिल थे और इस काम में युवती की लगातार मदद कर रहे थे।