Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

अमित शाह से बोले निर्दलीय उतरे हर्षवर्धन सिंह- कुछ देना चाहते हों तो आशीर्वाद दे दीजिए

सत्ता की सियासत

हमें फॉलो करें amit shah_harshwhardhan singh
webdunia

अरविन्द तिवारी

, मंगलवार, 31 अक्टूबर 2023 (21:29 IST)
भाई साहब, कुछ देना चाहते हो तो आशीर्वाद दे दीजिए। आपकी पार्टी का उम्मीदवार बुरहानपुर में जीत नहीं रहा है। मैं चुनाव जीतूंगा और जीतकर ही आपके पास आऊंगा। कुछ ऐसा संवाद सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा से बगावत कर बुरहानपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हर्षवर्धन सिंह चौहान के बीच हुआ। चौहान ने शाह की पूरी बात सुनी, अपनी पीड़ा बताई और फिर क्षमा मांगते हुए कहा आप तो मुझे आशीर्वाद दीजिए।

सालों तक पूर्वी निमाड़ यानी खंडवा-बुरहानपुर की राजनीति के बेताज बादशाह रहे नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन भाजपा का टिकट न मिलने के कारण बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं।

मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं खासकर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से वे बहुत नाराज हैं। पार्टी से बगावत कर मैदान में उतरने वाले भाजपा नेताओं से केंद्रीय गृहमंत्री ने सोमवार को इंदौर में बैठकर संवाद किया।

वे रविवार रात इंदौर आ गए थे। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और संगठन महामंत्री को उन्होंने इंदौर तलब कर लिया था और इन्हीं की मौजूदगी में उन्होंने कुछ लोगों से रूबरू मुलाकात की तो कुछ से फोन पर संवाद हुआ।

इसी क्रम में हर्षवर्धन के पास उनका फोन पहुंचा था। लाख समझाने के बाद भी हर्षवर्धन नहीं माने और अब यह तय हो गया है कि वे बागी उम्मीदवार के रूप में मैदान में रहेंगे।

हर्षवर्धन की उम्मीदवारी से भाजपा उम्मीदवार अर्चना चिटनिस को बहुत नुकसान होगा। सोमवार को अपने गृहनगर बुरहानपुर में हर्षवर्धन जिस अंदाज में लोगों से रूबरू हुए और जो रिस्पांस उन्हें मिला, उससे यह स्पष्ट है कि वे चुनाव को इमोशनल टच देने में सफल हो रहे हैं।

हर्षवर्धन ने उपस्थित लोगों से कहा- मेरे साथ पिता की मौत के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी अन्याय हुआ था। इस बार फिर मेरे साथ अन्याय हुआ तो मैंने तय किया कि मैं जनता के बीच जाकर पूछूंगा कि मुझे क्या करना है। जनता जो कहेगी, वही करूंगा या तो विजय या विरक्ति। अब रण में उतरा हूं तो कुछ सोचूंगा नहीं, लड़ूंगा, मेरा चुनाव आप लोग लड़ रहे हैं।

अपने पिता नंदकुमार सिंह चौहान का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि मैं सच कहा रहा हूं कि इस जिले में एक ही शेर था और वे थे स्व. नंदकुमार सिंह चौहान। हर्षवर्धन की माताजी भी बेटे के समर्थन में मैदान संभाल चुकी हैं। वे गांव में जा रही हैं और दिवंगत पति की इस क्षेत्र से जुड़ी यादों को ताजा करते हुए वोट मांग रही हैं।

हर्षवर्धन को यहां जो प्रतिसाद मिल रहा है, वह भाजपा की चिंता को गहराता भी जा रहा है। भाजपा उम्मीदवार अर्चना चिटनिस अपनी दो रैलियां निरस्त कर चुकी हैं।  यहां से कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में निर्दलीय जीते सुरेंद्रसिंह शेरा को टिकट दिया है। उनके खिलाफ कांग्रेस का बड़ा वर्ग बगावत कर चुका है।

यहां मुस्लिम मतों को कांग्रेस के पक्ष में जाने से रोकने के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम ने भी उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है। इसका फायदा भी हर्षवर्धन को मिलना तय है।

तीन दिन मध्यप्रदेश में रहकर भाजपा के नाराज नेताओं को मनाने में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कितने सफल हुए हैं, यह तो 2 नवंबर को नामांकन वापसी का समय समाप्त होने के बाद ही पता चल पाएगा।

वैसे जो संकेत मिल रहे हैं, वे अच्छे नहीं हैं। इसका एक कारण यह भी है कि बागी उम्मीदवार पूरे तामझाम के साथ मैदान में उतरकर प्रचार भी शुरू कर चुके हैं। अब मैदान छोड़ने की स्थिति में वे न घर के न घाट के होकर रह जाएंगे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Rajasthan Election 2023 : Congress ने जारी की 56 उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट, मानवेंद्र सिंह को सिवाना से टिकट, गौरव वल्लभ उदयपुर से लड़ेंगे चुनाव