Lunar eclipse 2025: चंद्र ग्रहण: वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण और उपाय

WD Feature Desk
बुधवार, 3 सितम्बर 2025 (15:48 IST)
Lunar eclipse 2025: चंद्र ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसने सदियों से मानव जाति को आकर्षित किया है और प्रभावित किया है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्रमा पर अपनी छाया डालती है, तो चंद्र ग्रहण होता है। यह एक ऐसा पल होता है जब चंद्रमा का रंग लाल या तांबे जैसा हो जाता है, जिसे ब्लड मून भी कहते हैं। हालांकि, यह सिर्फ एक वैज्ञानिक घटना नहीं है, बल्कि कई संस्कृतियों और ज्योतिष में इसका गहरा महत्व है।
 
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: यह कैसे होता है?
विज्ञान के अनुसार, चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं:
पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse): जब पृथ्वी की पूरी छाया चंद्रमा को ढक लेती है। इस दौरान चंद्रमा गहरा लाल रंग का दिखाई देता है क्योंकि सूर्य की कुछ रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से छनकर उस तक पहुँचती है।
 
आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse): जब पृथ्वी की छाया का केवल एक हिस्सा चंद्रमा पर पड़ता है। इस दौरान चंद्रमा का एक भाग काला दिखाई देता है।
 
पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse): जब चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया (पेनुम्ब्रा) से होकर गुजरता है। इस तरह के ग्रहण को पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि चंद्रमा की चमक में बहुत मामूली कमी आती है।
 
वैज्ञानिकों के लिए यह ग्रहण ब्रह्मांड की गतियों को समझने का एक शानदार अवसर होता है।
 
ज्योतिषीय और धार्मिक मान्यताएं
राहु से लगता है ग्रहण: ज्योतिष में चंद्र ग्रहण को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। इसे अक्सर राहु और केतु के प्रभाव से जोड़ा जाता है, जो पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य और चंद्रमा को "निगलने" का प्रयास करते हैं। हालांकि जब भी चंद्रमा या सूर्य राहु के प्रभाव में आते हैं तब ग्रहण लगता है। राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह धरती और चंद्रमा की छाया सहित सभी ग्रहों की छाया को राहु माना गया है। छाया ग्रह का प्रभाव गहरा होता है।
 
सूतक काल: ग्रहण शुरू होने से पहले एक सूतक काल शुरू होता है, जिसे अशुभ माना जाता है। इस समय में पूजा-पाठ, भोजन पकाने और शुभ कार्यों की मनाही होती है। सूर्य ग्रहण का सूतककाल 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पूर्व ही प्रारंभ होकर ग्रहण की समाप्ति तक चलता है।
 
ग्रहर का नकारात्मक प्रभाव: कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। इसका प्रभाव व्यक्ति की राशि और कुंडली पर भी पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या धन हानि हो सकती है।
 
उपाय और सावधानियां: इन नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं:
1.ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना।
2. ग्रहण के बाद स्नान करके गंगाजल का छिड़काव करना।
3. दान-पुण्य करना, खासकर सफेद वस्तुओं (जैसे चावल, दूध) का।
4. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है।
 
चंद्र ग्रहण: डर या जिज्ञासा?
सदियों से चंद्र ग्रहण को लेकर लोगों में डर और जिज्ञासा दोनों रही हैं। कुछ लोग इसे प्रकृति का एक अद्भुत प्रदर्शन मानते हैं, जबकि कुछ अन्य इसे आने वाली आपदाओं का संकेत। हालांकि, दोनों ही दृष्टिकोण अपनी जगह पर सही हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसे किस नजरिए से देखते हैं- एक खगोलीय घटना के रूप में या एक ज्योतिषीय प्रभाव के रूप में।

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