राजस्थान की 4 लोकसभा सीटों पर कड़ी टक्कर

भाजपा के लिए आसान नहीं होगा सभी 25 सीटें जीतना

वृजेन्द्रसिंह झाला
Lok Sabha Election 2024 Rajasthan: राजस्थान में सभी लोकसभा सीटें जीतने की उम्मीदें पाले भाजपा की राह इस बार आसान नहीं दिख रही है। पिछले चुनाव में भाजपा ने सभी 25 सीटें (1 पर हनुमान बेनीवाल) जीती थीं। इस बार भी पार्टी का लक्ष्य सभी सीटें जीतने का है, लेकिन कई सीटों पर मुकाबला कांटे का दिखाई पड़ रहा है। राज्य की 4 सीटें तो ऐसी हैं, जहां परिणाम किसी भी तरफ जा सकता है। हालांकि इस बार राम मंदिर और मोदी लहर का फायदा भाजपा उम्मीदवारों को मिल सकता है। 
 
नागौर लोकसभा सीट : राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट पर भाजपा ने ज्योति मिर्धा को उतारा है, जबकि हनुमान बेनीवाल (आरएलपी) कांग्रेस के सहयोग से मैदान में हैं। पिछले चुनाव में भी दोनों आमने-सामने थे, लेकिन इस बार दोनों की ही पार्टी बदल गई है। ज्योति ‍पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, जबकि हनुमान भाजपा के सहयोग से चुनाव लड़े थे। 2019 में बेनीवाल 1 लाख 81 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे। इस सीट पर इस बार कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। 
 
बाड़मेर लोकसभा सीट : पाकिस्तान लगी बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रवीन्द्र सिंह भाटी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। जिस तरह उनकी रैलियों में लोगों की भीड़ जुट रही उससे लग रहा है कि परिणाम कुछ भी हो सकता है। भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने उमेदाराम बेनीवाल को टिकट दिया है। चौधरी और बेनीवाल दोनों ही जाट समुदाय से आते हैं। ऐसे में उनके वोट बंट सकते हैं और इसका लाभ भाटी को मिल सकता है। हालांकि चौधरी पिछला चुनाव 3 लाख 23 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे। गैर जाट वोटों की इस सीट पर महत्वपूर्ण भूमिका होगी।  
 
राजस्थान में राजनीति की राजनीति की नब्ज को समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार कल्याण सिंह कोठारी कहते हैं कि नागौर, बाड़मेर, चूरू और बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। ऐसे में परिणाम कुछ भी हो सकता है। कोठारी मानते हैं कि बाड़मेर में रवीन्द्र भाटी को हलके में नहीं लिया जा सकता, जबकि नागौर में हनुमान बेनीवाल भी मजबूत उम्मीदवार हैं। वे पिछले चुनाव में ज्योति मिर्धा को हरा भी चुके हैं। चूरू में भी वर्तमान भाजपा सांसद राहुल कस्बां कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं और भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत कांग्रेस के सहयोग से कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
 
चूरू लोकसभा सीट : भाजपा द्वारा वर्तमान सांसद राहुल कस्वां को टिकट नहीं देने के कारण इस सीट पर भी मुकाबला कड़ा हो गया है। कांग्रेस ने राहुल को टिकट दिया है, जो पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर 3 लाख 34 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे। उनकी व्यक्तिगत छवि और कांग्रेस के कोर वोट उन्हें मिलते हैं वे एक बार फिर इस सीट पर चुनाव जीत सकते हैं। भाजपा ने नए चेहरे देवेन्द्र झाझरिया पर दांव लगाया है। देवेन्द्र पैरालंपिक खिलाड़ी हैं और पैरालंपिक में 2 स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी हैं। भाजपा का यह फैसला कितना सही है इसका पता तो परिणाम आने के बाद ही तय होगा।  
 
बांसवाड़ा लोकसभा सीट : भाजपा ने इस सीट पर कांग्रेस छोड़कर आए महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को उम्मीदवार बनाया है। पिछला चुनाव भाजपा के कनक मल कटारा ने 3 लाख 5 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था। कांग्रेस के सहयोग से भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत यहां कड़ी टक्कर दे रहे हैं। कांग्रेस के बागी अरविन्द डामोर भी चुनाव मैदान में हैं। मालवीय को जहां भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी सकती है, वहीं रोत की राह भी आसान नहीं होगी। हालांकि रोत का माहौल रवीन्द्र भाटी जैसा ही है। उनके नामांकन में उमड़ी भीड़ तो कम से कम यही इशारा कर रही है।    
 
कल्याण सिंह कोठारी कहते हैं कि भाजपा इस बार राजस्थान में 23 सीटें जीत सकती है। अर्थात उसे 2 सीटों का नुकसान हो सकता है। वे कहते हैं कि 370 पार और 400 पार नारे की जरूरत ही नहीं थी। 'मोदी की गारंटी' जुमले से भी पार्टी को नुकसान हो सकता है। क्योंकि मतदाताओं को यह मैसेज जाएगा कि मोदी तो जीत ही जाएगा। ऐसे में हो सकता है कि वे मतदान केन्द्र तक पहुंचें ही नहीं। कोठारी मानते हैं रैलियों में उमड़ रही भीड़ से फिलहाल कोई भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता। अमित शाह की रैली में भीड़ उमड़ी थी तो प्रियंका गांधी की रैली में भी काफी लोग पहुंचे थे।
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा की तैयारियां ज्यादा हैं, लेकिन बावजूद इसके राजस्थान की 4 के अलावा कुछ अन्य सीटों पर भाजपा को जीतने के काफी जोर लगाना पड़ेगा।

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