Uttarakhand Lok Sabha elections : BJP की नजर हैट्रिक पर, क्या कांग्रेस 2024 में खोल पाएगी खाता
BJP मोदी मैजिक तो कांग्रेस स्थानीय मुद्दों के भरोसे
Uttarakhand Lok Sabha elections 2024 : देवभूमि उत्तराखंड में 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा ने 5 सीटों पर कब्जा किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी पांचों सीटों पर कब्जा जमाया था। भाजपा की नजर हैट्रिक पर है तो वहीं कांग्रेस की उम्मीदें 10 वर्ष की एंटी इनकंबेंसी पर है। 2014 और 2019 में कांग्रेस का वोट प्रतिशत क्रमश 34.40 और 31.73 प्रतिशत रहा। स्थानीय मुद्दों को लेकर अलग-अलग सीटों निर्दलीय भी मैदान में हैं। प्रत्याशियों का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है।
मोदी मैजिक VS स्थानीय मुद्दे : भाजपा ने 2017 और 2022 का विधानसभा चुनाव भी मोदी लहर की वजह से ही जीता। अब 2024 में भी उसे मोदी मैजिक पर भरोसा है, वहीं कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को लेकर मैदान में उतरी थी। हरिद्वार और नैनीताल-ऊधम सिंह नगर सीट पर मुस्लिम व अनुसूचित जाति के मतदाताओं के सहारे बसपा ने त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश की है।
55 प्रत्याशी, 83 लाख उंगलियां : टिहरी गढ़वाल, गढ़वाल, अल्मोड़ा, नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट और हरिद्वार लोकसभा सीट पर एक ही तारीख को मतदान हुआ। परंपरागत रूप से यहां महासमर के मुख्य मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस ही आमने-सामने रहती हैं और इस चुनाव में भी कुछ नया नजर नहीं आया है। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर 83.37 लाख मतदाता कुल 55 प्रत्याशियों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।
प्रचार में भाजपा आगे : भाजपा स्टार प्रचारकों के मामले में कांग्रेस से आगे रही। भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धुंआधार प्रचार किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं प्रचार अभियान के मोर्चे पर डटे रहे। कांग्रेस के लिए केवल प्रियंका गांधी वाड्रा ने ही वोट मांगे।
हरिद्वार : यहां भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तो कांग्रेस से वीरेंद्र रावत मैदान में हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र हैं। बसपा ने त्रिकोणीय मुकाबला बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक जमील अहमद को उतारा है। खानपुर सीट से विधायक उमेश कुमार क्षेत्र विशेष के समर्थकों की ताकत के बूते निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमा रहे हैं। हरिद्वार में बाढ़ नियंत्रण, उत्तर प्रदेश के साथ हरिद्वार के कई गांवों का भूमि विवाद, उत्तरी हरिद्वार में राजकीय महाविद्यालय और अस्पताल के भवन, स्थानीय लोगों को रोजगार, ऋषिकेश में जल भराव, आस्था पथ को जोड़ने के लिए चंद्रभागा नदी पर पुल, जंगल से सटे आबादी क्षेत्र में वन्यजीवों की घुसपैठ पर रोक जैसे स्थानीय मुद्दे प्रचार में छाए रहे।
नैनीताल-ऊधम सिंह नगर : नेपाल की सीमा से सटी इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट और कांग्रेस से पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी मैदान में हैं। बसपा से अख्तर अली मैदान में हैं। तराई के अधिकांश नगरीय क्षेत्रों में जलभराव की समस्या व रुद्रपर में ट्रासपोर्ट नगर नहीं बनना। नजूल भूमि में लंबे समय से बसे लोगों को मालिकाना हक न मिलना। नए पर्यटन स्थल विकसित न होना पुराने में सुविधाओं का अभाव जैसे मुद्दे यहां चुनाव प्रचार के दौरान उठाए गए।
अल्मोड़ा में सीधी टक्कर : भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर मानी जा रही है। दो प्रतिद्वंद्वी यहां चुनाव मैदान में हैं। भाजपा से पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा के सामने कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा की चुनौती है। चुनावी गहमा-गहमी के बीच मतदाताओं की खामोशी ने प्रत्याशियों की मुश्किल को बढ़ाया। वन्य जीवों की आबादी में घुसपैठ समेत कई मुद्दे प्रत्याशियों के लिए भी यक्ष प्रश्न बने हुए हैं। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राष्ट्रीय दलों का प्रचार जिला, ब्लॉक मुख्यालय व सड़क के किनारे नगर व कस्बों तक सिमटकर रह गया।
गढ़वाल : भौगोलिक रूप से राज्य में सबसे विस्तृत और विषम मानी जाने वाली गढ़वाल संसदीय सीट पर राज्यसभा सदस्य रहे और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी का मुकाबला कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से है। आपदा प्रभावित गांवों का पुनर्वास, पेयजल संकट, स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती,
वनंतरा प्रकरण जैसे मुद्दे चुनाव में छाए रहे।
टिहरी गढ़वाल : इस संसदीय सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच दिखाई दे रहा है। राज परिवार की पारंपरिक इस सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में तीन बार की सांसद महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह को चुनौती दे रहे हैं कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला। उम्मीदवारों को स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता के सवालों पर बखूबी सामना करना पड़ा। तीर्थाटन और जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर बनी योजनाओं को जल्द पूरा करने की मांग भी प्रचार में छाई रही। सड़क, संचार व शिक्षा जैसे मुद्दों की उपेक्षा को लेकर राजनीतिक दलों से लोगों की नाराजगी भी दिखाई दी। Edited by: Sudhir sharma