दिल्ली में नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार का आगाज हो चुका है। आज मोदी 3.0 सरकार का पहला दिन है और नई सरकार पहले दिन से ही एक्शन में दिखाई दे रही है। इससे पहले रविवार शाम को नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। राष्ट्रपति भवन में हुए भव्य शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। आजाद भारत के संसदीय इतिहास में हैट्रिक लगाने वाले नरेंद्र मोदी दूसरे प्रधानमत्री बन गए है। अब तक पंडित जवाहर लाल नेहरू ही एकलौते ऐसे नेता रहे हैं जिनके नेतृत्व में लगातार तीन बार सरकार को बहुमत मिला था और तीन बार प्रधानमंत्री बनें थे। वहीं अब नरेंद्र मोदी का नाम भी इसमें जुड़ गया है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन ने 2014, 2019 और अब 2024 में बहुमत प्राप्त किया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को सदन में अकेले बल पर भी बहुमत प्राप्त था तो वहीं इस बार भाजपा सदन में अपने बल पर बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर है, ऐसे में इस बार उसे गठबंधन के सहयोगियों के भरोसे ही सरकार चलाना है। ऐसे में इस बार यह सवाल बड़ा हो गया है कि नरेंद्र मोदी जो अपने दूसरे कार्यकाल में तेजी से संघ के एजेंडे को पूरा कर रहे थे इस बार भी क्या बड़े फैसले लेकर संघ के एजेंडे को पूरा कर पाएगें।
2019 में केंद्र में दूसरी बार सत्ता में वापस आने के बाद मोदी सरकार ने अपने संसद के पहले सत्र में ही संघ के सबसे बड़े एजेंडे ट्रिपल तलाक पर कानून और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बड़े फैसले किए थे। ऐसे में अब यह सवाल सियासी गलियारों में तेजी से चर्चा के केंद्र में आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो पहली बार गठबंधन की सरकार चला रहे है क्या वह संघ के प्रमुख एजेंडे जनसंख्या नियंत्रम कानून, एक राष्ट्र-एक चुनाव और समान नागरिक संहिता को लागू करवा पाएंगे। गौरतलब है कि चुनाव चुनाव प्रचार के दौरान संघ के साथ भाजपा के बड़े नेताओं ने समान नागारिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून की खुलकर पैरवी की।
समान नागरिक संहिता क्या होगा लागू? –समान नागारिक संहिता संघ के साथ-साथ भाजपा के एजेंडे में अस्सी के दशक से है। 1980 में पार्टी के गठन के समय से भाजपा के तीन प्रमुख एजेंडे थे अयोध्या में राममंदिर, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना और समान नागरिक संहिता। नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में संघ के दो प्रमुख एजेंडे को प्रमुखता से पूरा कर दिया था। वहीं चुनाव के दौरान यह चर्चा भी खूब रही कि सत्ता में वापसी करने पर नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में देश में समान नागरिक संहिता लागू करेगी। खुद गृहमंत्री अमित शाह ने अपने एक इंटरव्यू में साफ किया है भाजपा के सत्ता में आने पर पांच साल के अंदर पूरे देश में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू की जाएगी।
लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपने बल पर बहुमत नहीं मिला है तो वह गठबंधन के सहयोगियों के भरोसे है और वह समान नागरिक संहिता लागू करने जैसे बड़े फैसले ले सकेगी यह बड़ा सवाला है। दरअसल मोदी 3.0 सरकार मे प्रमुख सहयोगी दल जेडीयू शुरु से ही समान नागरिक संहिता के विरोध में रही है। 2017 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने समान नागरिक संहिता के विरोध में मोदी सरकार को पत्र भी लिख चुके है और बिहार ने यूसीसी लागू करने की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया था। वहीं NDA गठबंधन में सबसे बड़े सहयोगी दल के रूप में शामिल चंद्रबाबू नायडू की पार्टी किसी भी सूरत में समान नागरिक संहित का समर्थन कर राज्य के अल्पसंख्यक वोटर्स को नाराज नहीं करना चाहेगी। ऐसे में मोदी 3.0 सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में समान नागरिक संहिता पर कोई बड़ा कदम उठा पाएगी यह देखना दिलचस्प होगा।
एक राष्ट्र-एक चुनाव का क्या होगा?-मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में एक राष्ट्र-एक चुनाव पर क्या आगे बढ़ती हुई दिखाई देगी अब यह गठबंधन सरकार में बड़ा सवाल बन गया है। दरअसल मोदी 2.0 सरकार एक राष्ट्र-एक चुनाव के मुद्दे पर तेजी से आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही थी। खुद तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मोदी सरकार अपने अगले कार्यकाल में एक राष्ट्र, एक चुनाव को भी लागू करेगी क्योंकि देश में एक साथ चुनाव कराने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, ऐसे में अब क्या गठबंधन वाली मोदी सरकार एक राष्ट्र-एक चुनाव पर कोई बड़ा फैसला कर पाएगी यह बड़ा सवाल है। ऐसे में जब एक राष्ट्र-एक चुनाव के विरोध में कांग्रेस के साथ अधिकांश छोटे दल है, तब क्या मोदी सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र को पूरा कर पाएगी यह अब भविष्य के गर्भ में है।
जनसंख्या नियंत्रण कानून का क्या होगा?-गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने वाले नरेंद्र मोदी जनसंख्या नियंत्रण कानून लाकर क्या संघ के एक और एजेंडे को पूरा कर पाएंगे यह अब बड़ा सवाल बन गया है। दरअसल जनसंख्या नियंत्रण नीति सरकार के एजेंडे में सबसे उपर है। संघ में दो नंबर सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने लोकसभा चुनाव से पहले देश में सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बनाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या विस्फोट चिंताजनक है। इसलिए इस विषय पर समग्रता से व एकात्मता से विचार करके सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों में विभाजन की नौबत आई है। भारत का विभाजन भी जनसंख्या असंतुलन के कारण हो चुका है।
देश में बढ़ती जनसंख्या को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में अपनी सरकार के रूख को कई बार साफ किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त 2019 के दिए अपने भाषण में देश की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा था कि भारत में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, ये आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा कर रहा है। प्रधानमंत्री ने आबादी नियंत्रण के लिए छोटे परिवार पर जोर दिया था।